Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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८७२
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[मदात्यय
(३७) मदात्याधिकारः चूर्ण-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ५०९९ मधुत्रिफलागुडाईक
५५३२ महाकल्याणवटी वातज तथा कफपित्तज योगः मद, मूर्छा
मदात्यय ६११७ रसामृतम् मदात्यय
६१४२ राजावर्त रसः समस्त प्रकारके मदाघृत-प्रकरणम्
त्यय ५२५८ माषघृतम् सुरापानकी गन्धको
| ७०६७ विश्वेश्वरो रसः कफपित्तज मदात्यय तत्काल नष्ट करता है।
मिश्र-प्रकरणम् तैल-प्रकरणम्
५६८८ मद्यमदप्रतीकारः शराबका नशा नहीं ५२७४ मथित तैलम पानात्यय
चढ़ता
(३८) मलावरोधाधिकारः
कषाय-प्रकरणम्
चूर्ण-प्रकरणम् | ५११८ मलशोधनचूर्णम् मृदुरेचक | ५१५६ मृदुविरेचनयोगः सुखविरेचक
५०८८ मृद्वीकादिकाथः रेचक
(३९) मुखरोगाधिकारः
कषाय-प्रकरणम् ६४६९ वचादि कषायः गलशुण्डिका
६५७९ वचादि चूर्णम् वाणीशोधक ६६५५ व्योषादि , उपजिह्वा
गुटिका-प्रकरणम् | ५१७० महा खदिर गले, ओष्ठ, जिह्वा और वटिका तालुके रोग ( दन्त
पौष्टिक)
चूर्ण-प्रकरणम् ५१३९ मुण्ड्यादिचूर्णम् मुखको दुर्गन्ध ५७४७ यवक्षार योगः तालु पाक
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