Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मुखरोग]
चतुर्थों भागः
५१८० मुण्ड्यादिगुटिका दन्तकृमि, दन्त शूल | ६८३० व्योपायं तैलम् उपजिह्वा ५१८३ मुस्तादि वटी मुखकी तीव्र दुर्गन्ध
लेप-प्रकरणम् घृत-प्रकरणम्
| ५३७० मसूरादि लेपः सान्दर्य वर्द्धक ५२५७ मालत्याधं घृतम् समस्त मुख रोग ५३७७ माजूफलादिलेपः तारुण्य पिडिका ६७३६ वर्णक , चेहरेक रगको निखा- ५३८२ मातुलुङ्गादि , , , व्यङ्ग, रता और झुर्रियोंको
कालक (वर्ण्य) ष्ट करता है।
५३९१)
से मुखकान्तिकरालेपाः सौन्दर्य वर्द्धक तैल-प्रकरणम्
५४११) ५२६८ मञ्जिष्टादितैलम् नीलिका, मुंहासे, पि- |
५९७७ रक्षोध्नादि लेपः अत्यन्त सौन्दर्य वर्द्धक डिका, वलि, पलित | ५९९५ रालादि लेपः होठोंका तोद, परुषता, (सौन्दर्यवर्द्धक)
रक्तस्राव , स्त्रियोंके कपोलोंको पुष्ट । ६३१४ लोधादि लेपः तारुण्य पिडिका और कान्तिमान करता
६८४१ वट पत्रादि ,, सौन्दर्य वर्द्धक
६८४४ वटाङ्कुरादि , व्यङ्ग ५२७२ मञ्जिष्टाचं , मुंहके मस्सोंको नष्ट
६८४६ वटादि , तारुण्य पिडिका, व्यङ्ग करता और कान्ति ब
नीलिका ढ़ाता है।
६८४८ वरुणादि , व्यङ्ग ५२७३ , , मुखपिडिका, तिल, कालक, व्यंग, श्यामता
रस-प्रकरणम् ५२७९ मधुयष्टयादितैलम् कान्ति वर्द्धक ५२९७ महा पद्मकं , चेहरेको निखारता और | ५६११ मुखरोगहरोरसः भयङ्कर मुखपाक
____ कोमल करता है। ५६१२ मुख रोगारि , मुख रोग ५८०२ यष्टयादि , मुखसे लार बहना, ६१२८ रसेन्द्र वटो मुख रोग, ज्वर, वात रोग
५२६९,
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908