Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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८७४
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[मूर्छा
(४०) मूर्छाधिकारः
कषाय-प्रकरणम् ५०१६ महौषधादिक्काथः मद, मूर्छा
अवलेहप्रकरणम् ५२०५ मृणालाधवलेहः मूर्छा
रस-प्रकरणम् | ५६२४ मूछन्तक रसः मूर्छा
५६२५ मूहिर , मूर्छा, दाह । ६०८३ रस योगः मूळ
(४१) मूत्रकृच्छू मूत्राघाताधिकारः
कषाय-प्रकरणम्
__ चूर्ण-प्रकरणम् ५००३ मन्थादि योगः अभिघातज मूत्रकृच्छू ५१४४ मुष्टि योगौ मूत्राघात, अश्मरी
(सरल योग) ५७४७ यवक्षार योगः मूत्रकृच्छ, अश्मरी ५०८२ मूत्रविरेचनीयो मूत्र रेचक
५७४८ , , , , द. म. क.
५७४९ , , समस्त प्रकारके मूत्रकृच्छ्र ५७२३ यवादि काथः मूत्र कृच्छ, गुल्म
(सरल योग) ५७३७ यष्ट्यादि क्वाथः , , दाह, तृषा, मूत्रावरोध
अवलेह-प्रकरणम् ५७४१ यूथीमूल योगः रक्तनाव, उष्णवान,
। ७११६ वृहद् गोक्षुराद्यव- मूत्रकृच्छ्, मूत्राघात, मूत्रकृच्छ, शूल युक्त
अश्मरि ___ मूत्राघात, शर्करा, अश्मरि ५८११ रक्तनारिकेल- मूत्रकृच्छ जलयोगः
घृत-प्रकरणम् ६१९३ लघुपंचमूलयोगः ज्वरगत मूत्रकृच्छ ६७४९ विदारी घृतम् पैत्तिक मूत्राघात, छर्दि ६५६० वृहद्वरुणादिकाथः मूत्रकृच्छ, बस्ति तथा
___ मूत्रनलीकी पीड़ा ६५४५ वीरतर्वादिकाथः मूत्रकृष्ट मूत्राघात, वायु
रस-प्रकरणम् ६५५७ वृहद्धात्र्यादि ,, ,, दाह, पीड़ा ५६१९ मूत्रकृच्छ्र हरः पित्तज मूत्रकृच्छको १
सप्ताहमें नष्ट करता है।
शर्करा
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