Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 859
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८५६ ६५५२ वृहत्कटफलादि क्वाथः पन, वधिरता. ६५५३ बृहत्क्षुद्रादिकाथः शीत ज्वर ६५५५ वृहत्पटोलादि वातज मसूरिका ६५५६ वृहत्पिप्पल्यादि,, वातकफ, ज्वर, ६५५९ वृहद्रास्नादि " ६५६६ ६५६९ 39 " "2 श्वास, कास. ६५६३ व्याध्यादिकषायः कफ ज्वर पाचक ६५६५ "" "" "2 "" "5 73 सन्निपात, स्वरभेद, कर्णमूल, शिरका भारी भारत - भैषज्य रत्नाकरः शून्यता. भयंकर www.kobatirth.org शीत, प्रस्वेद, अत्यन्त कम्पन प्रलाप, अति निद्रा, रोमहर्ष, शरीर की सन्निपात, ६५७० ६५७१ समस्त ज्वर " ६५७२ व्योषादि क्वाथः त्रिदोषज ज्वर वातकफ ज्वर, श्वास, कास, शूल सन्निपात ज्वर, वमन, दहि, तृषा, कास कफ, अभिन्यास ज्वर चूर्णप्रकरणम् ५१०० मधुपिप्पली योगः ज्वर, कास, हिक्का, प्लीहा ( सरलयोग) ५१०५ मधूकादि चूर्णम् ज्वर, वमन, मुंह से लार बहना, हिक्का ५११६ मरिचाद्योद्भूलनम् सन्निपातमें अधिक पसीना आना [ ज्वर ५१२६ मातुलुङ्ग केसरा- ज्वरे, मुखशोष, मुखदि योग: ५१३७ मुखधावनयोगः ५७५६ यवानिका घुडूल की जड़ता, अरुचि मुखशोधक, रुचिवर्द्धक अधिक पसीना आना नम् ६२१७ लघुसुदर्शन चूर्णम् ६५७८ वचादि चूर्णम् ६५९३ वडवानल चूर्णम् ६६०२ वालकादि योग: ज्वर ६६३३ विश्वादि चूर्णम् विषम ज्वर (सरलयोग) ६६८४ व्योषादिवटी ५२११ मञ्जिष्टाद्यं ५२५० घृतप्रकरणम् ५२१० मञ्जिष्ठाद्यं घृतम् दुष्ट ज्वर, हिक्का, श्वास अरुचि, उदावर्त शोथ, शोष. ५२२७ महा कल्याण, ५२२८ " For Private And Personal Use Only गुटिका-प्रकरणम् "" ५२५१. " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 19 " समस्त ज्वर, त्रिदोष नाशक प्रस्वेद ज्वर, कास, मलावरोध " " ज्वर, छर्दि, कास, तांप, मूत्रकृच कफ ज्वरमें विशेष उपयोगी ज्वरनाशक, आयुवर्द्धक विषम ज्वर, शोथ, कृशता षट्पलकं, विषमज्वर, प्लीहा, अग्नि मांध ," ज्वर, प्लीहा, शूल, दुर्बलता

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