Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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पाण्डु ]
६३९८ लोह भस्म योगः कामला
६४००
६४०६
17
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मलादि, पाण्डु, शोथ (अग्नि
दीपक)
६४३४ लोह सुन्दर: ६४३९ लोहायो मोदकः ६४४१ लोहामृतम्
६९२६ वज्रक गुटिका ७०२८ विजया टिका ७०३५ विडङ्गादिलाहम्
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५०१० महानिम्बबीजयोगः ५०४४ मुष्ककादिगणः ५०४८ मुस्तादि काथः ५८९४ रोघ्रादि ६२१० लोधादि
६५२२ विडंगादि
६५२५
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कषाय-प्रकरणम्
29
22
शुष्क पाण्डु
पाण्डु
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चतुर्थी भागे:
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भयंकर प्रमेह
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पाण्डु, रक्तविकार, कास ७०९९ शोथ, पाण्डु शोथ, पाण्डु, हलीमकको ७ दिनमें नष्ट करता है ।
८६७
७०३७ विडङ्गादि लौहम् कामला, पाण्डुको शीघ्र
नष्ट करता है । पाण्डु, कामला पुरानी कामला, पाण्डु पित्तज, शोथ
पाण्डु, कामला, कासादि
७०३९ विडङ्गाय लौहम् ७०४१ " लेहः
चूर्ण-प्रकरणम् ६२२४ लवङ्गादिचूर्णम् २० प्रकार के प्रमेह
७०९८ वृद्धनवरसादि
गुटिका
नवायसचूर्णम् पाण्ड्वादि अनेक रोग
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(३३) प्रमेहाधिकारः
७१६७ विशालादि योग: कामला
प्रमेहपर उत्तम (सरल ५२३८ महादाडिमाद्यं योग) घृतम् प्रमेह, शुक्रदोष, अश्मरि ६७६२ वृहदाडिमाचं प्रमेह, मूत्राघात
६७६३ वृहद्धान्वन्तरं
प्रमेह
कफज मेह
मिश्र-प्रकरणम्.
५६८५ मणिबन्धदहनम् कामला
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घृत-प्रकरणम्.
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तैल-प्रकरणम्
५३२६ मेहमिहिर तैलम् मूत्र रोग, हाथ पैरों की
दाह, स्त्री समागम ज
नित क्षीणता ।
५३३२ मध्वासवः
16:01
प्रमेह, मूत्राघात, पथरी (शुक्रवर्द्धक)
प्रमेह, बस्तिशूल, अरुचि प्रमेह, श्वास, उदर रोग
आसवारिष्ट-प्रकरणम् प्रमेह
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