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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पाण्डु ] ६३९८ लोह भस्म योगः कामला ६४०० ६४०६ 17 "" 75 " मलादि, पाण्डु, शोथ (अग्नि दीपक) ६४३४ लोह सुन्दर: ६४३९ लोहायो मोदकः ६४४१ लोहामृतम् ६९२६ वज्रक गुटिका ७०२८ विजया टिका ७०३५ विडङ्गादिलाहम् "" ५०१० महानिम्बबीजयोगः ५०४४ मुष्ककादिगणः ५०४८ मुस्तादि काथः ५८९४ रोघ्रादि ६२१० लोधादि ६५२२ विडंगादि ६५२५ " " "3 कषाय-प्रकरणम् 29 22 शुष्क पाण्डु पाण्डु גי 100) www.kobatirth.org चतुर्थी भागे: "9 " भयंकर प्रमेह < पाण्डु, रक्तविकार, कास ७०९९ शोथ, पाण्डु शोथ, पाण्डु, हलीमकको ७ दिनमें नष्ट करता है । ८६७ ७०३७ विडङ्गादि लौहम् कामला, पाण्डुको शीघ्र नष्ट करता है । पाण्डु, कामला पुरानी कामला, पाण्डु पित्तज, शोथ पाण्डु, कामला, कासादि ७०३९ विडङ्गाय लौहम् ७०४१ " लेहः चूर्ण-प्रकरणम् ६२२४ लवङ्गादिचूर्णम् २० प्रकार के प्रमेह ७०९८ वृद्धनवरसादि गुटिका नवायसचूर्णम् पाण्ड्वादि अनेक रोग "" (३३) प्रमेहाधिकारः ७१६७ विशालादि योग: कामला प्रमेहपर उत्तम (सरल ५२३८ महादाडिमाद्यं योग) घृतम् प्रमेह, शुक्रदोष, अश्मरि ६७६२ वृहदाडिमाचं प्रमेह, मूत्राघात ६७६३ वृहद्धान्वन्तरं प्रमेह कफज मेह मिश्र-प्रकरणम्. ५६८५ मणिबन्धदहनम् कामला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घृत-प्रकरणम्. For Private And Personal Use Only तैल-प्रकरणम् ५३२६ मेहमिहिर तैलम् मूत्र रोग, हाथ पैरों की दाह, स्त्री समागम ज नित क्षीणता । ५३३२ मध्वासवः 16:01 प्रमेह, मूत्राघात, पथरी (शुक्रवर्द्धक) प्रमेह, बस्तिशूल, अरुचि प्रमेह, श्वास, उदर रोग आसवारिष्ट-प्रकरणम् प्रमेह
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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