Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 868
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - DramanartePTIHANICALCIAL P RATATARATI नेत्ररोग] चतुर्थों भागा अञ्जन-प्रकरणम् ६०२० रोपणीकुसुमिका- तिमिर, अर्जुन, शुक्र, ५४३८ मञ्जिष्ठाद्यञ्जनम् क्लेद, रक्तजपीडा, वर्तिः मांस वृद्धि अर्म, पिल्ल ६०२१ रोहिण्यादिवटी पित्तज, अर्म, नेत्रत्रण ५४४२ मनःशिलाधञ्जनम् तिमिर ६३२४ लाक्षादि योगः पिल्ल ५४४३ ,, ,, काच, शुक्र, अर्म, ६३२५ लामज्जकाद्यञ्जन सत्रग नेत्र शुक्र तिमिर ६८७५ वटक्षीराद्यञ्जनम् २ मासके फूलेको ५४४५ मरिचादिचूर्णा- आंखोंकी खुजली, कोच, ___ शीघ्र नष्ट करता है। अनम् कफविकार ६८७६ वातारिपत्रयोगः आंख फरकना, नेत्र५४४६ मरिचायञ्जनम् नेत्रस्राव कण्डू, अधिमंथ ५४४७ , , नक्तान्ध्य ६८८१ वैदेहीवर्तिः पटल, तिमिर, शुक्ति, ५४४८ मालत्याद्यञ्जनम् , राजिका, शुष्काक्षि५४४९ मुक्तादिमहा,, समस्त नेत्ररोग पाक, तोद ५४५० मेषशृङ्गयोद्य,, नेत्रोंको स्वच्छ करता ६८८४ व्योषाद्या वर्तिः नेत्रार्बुद, पटल, काच, लिमिर, अश्रु स्राव ५४५१ , , काच, नेत्रमल ६००६ रक्तचन्दनाद्या- नेत्र रोग रस-प्रकरणम् ६००७ रक्ताञ्जनम् ६ प्रकारका तिमिर ५५०१ मधुका लोहम् समस्त नेत्र रोग ६००८ रसकेश्वरवर्ति रूक्षता, फला, दमास. ५५९५ माक्षिकादि वटी उपद्रव युक्त समस्त नेत्र रोग अर्जुन आदि ६००९ रसाञ्जनादिगुटि० नक्तान्ध्य । ६०१० रसाञ्जनाद्यञ्जनम् पित्त विदग्ध दृष्टि मिश्र-प्रकरणम् नक्तान्ध्य | ५६८९ मधुकादि योगः तिमिर अञ्जन नामिका ५७१८ मेघनादमूलयोगः तीन नेत्र पीड़ा ६०१३ , , क्लेद, कण्डू, पलकोंके | ६१९० रोचनादिचूर्णम् लगण बाल गिरना ६१९१ रोधाद्याश्चोतनम् नेत्र पीड़ा, लाली ६०१४ , , नेत्र पटल ६४४८ लाक्षादि योगः रक्ताभिष्यन्द ६०१५ , , क्लेद, कण्ड, पिल्ल | ६४५४ लोचन शूलनी नेत्र पीड़ा ६०१६ रसादि वर्तिः समस्त नेत्र रोग पोटली ૧૦૯ - वर्तिः " ६०११ , ६०१२ ॥ For Private And Personal Use Only

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