Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 831
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org ૮૨૮ भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [अतिसार चूर्ण-करणम् ६७११ विजयावलेहः समस्त प्रकार के अतिसार. ५०९८ मधुकादि योगः पित्तातिसार ५१५७ मेघनादादिचूर्णम् रक्तातिसार घृत-प्रकरणम् ५७५८ यवानी चूर्णम् . शूल युक्त अत्यन्त प्रवृद्ध अतिसार ५२३३ महाचाङ्गेरीधृतम् अतिसार, प्रवाहिका, ५७६८ यष्टयादि चूर्णम् पित्तातिसार । अरुचि, शूल, ज्वर, ५९०५ रसाञ्जनादिचूर्णम् , शूल छर्दि, अग्निमांद्य । ५९१३ राल योगः पुगना अतिसार ६७३१ वत्सकादि ,, अतिसार ६२१३ लघुचेतकीयोगः अतिसार पर उत्तम ६७३२ ,, , पित्तातिसार (दीपन, ६२१९ लध्वीमाई चूर्णम् आम, शूल, विशेषतः पाचन) रक्तातिसारपर अनुभूत ६२४१ लोध्रादि चूर्णम् पक्वातिसार रस-प्रकरणम् ६५७३ वचादि , आमातिसार ६५८२ ,, . , वातातिसार में उत्तम ५५२१ मरिचादि वटी समस्त अतिसार ६५८६ वचाद्य , कफातिसार ५५३९ महा गन्धकम् अतिसार, प्रवाहिका, ५५६३ महा रस: वातातिसार गुटिका-प्रकरणम् ५६०९ मुक्ताभस्मयोगः अतिसार (सरलयोग) ५१६७ मलपाचनीगुटिका अतिसार, मल, आम ५६१५ मुरतादि गुटी अतिसार, प्रवाहिका ६६६६ वत्सकाया , हर प्रकार के अतिसार ६११९ रसायनामृतरसः अतिसार, ज्वरादि . संग्रहणीको शीव नष्ट ६३५१ लवङ्गादि वटी प्रवाहिका,कोष्ठस्थ वायु करती है । अग्नि दो । ६३७६ लोकनाथ रसः समस्त अतिसार . पक है। । ६३८१ लोकेश्वर , हर प्रकारके अतीसार ६६८० वृहदकोल वटकः समस्त अतिसार और प्रवृद्ध संग्रहणीको शीघ्र नष्ट करता है। अवलेह प्रकरणम् । ७०६५ विश्वादि वटी पक्वापक्व, नूतन, पुरातन और शूलयुक्त ५१९४ मधु हरीतकी आमातिसार, शूल अतिसारको अवश्य नष्ट ६६९९ वत्सकावलेहः रक्तातिसार करता है। For Private And Personal Use Only

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