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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[अतिसार
चूर्ण-करणम्
६७११ विजयावलेहः समस्त प्रकार के
अतिसार. ५०९८ मधुकादि योगः पित्तातिसार ५१५७ मेघनादादिचूर्णम् रक्तातिसार
घृत-प्रकरणम् ५७५८ यवानी चूर्णम् . शूल युक्त अत्यन्त
प्रवृद्ध अतिसार ५२३३ महाचाङ्गेरीधृतम् अतिसार, प्रवाहिका, ५७६८ यष्टयादि चूर्णम् पित्तातिसार ।
अरुचि, शूल, ज्वर, ५९०५ रसाञ्जनादिचूर्णम् , शूल
छर्दि, अग्निमांद्य । ५९१३ राल योगः पुगना अतिसार ६७३१ वत्सकादि ,, अतिसार ६२१३ लघुचेतकीयोगः अतिसार पर उत्तम ६७३२ ,, , पित्तातिसार (दीपन, ६२१९ लध्वीमाई चूर्णम् आम, शूल, विशेषतः
पाचन) रक्तातिसारपर अनुभूत ६२४१ लोध्रादि चूर्णम् पक्वातिसार
रस-प्रकरणम् ६५७३ वचादि , आमातिसार ६५८२ ,, . , वातातिसार में उत्तम
५५२१ मरिचादि वटी समस्त अतिसार ६५८६ वचाद्य , कफातिसार
५५३९ महा गन्धकम् अतिसार, प्रवाहिका,
५५६३ महा रस: वातातिसार गुटिका-प्रकरणम्
५६०९ मुक्ताभस्मयोगः अतिसार (सरलयोग) ५१६७ मलपाचनीगुटिका अतिसार, मल, आम
५६१५ मुरतादि गुटी अतिसार, प्रवाहिका ६६६६ वत्सकाया , हर प्रकार के अतिसार
६११९ रसायनामृतरसः अतिसार, ज्वरादि . संग्रहणीको शीव नष्ट
६३५१ लवङ्गादि वटी प्रवाहिका,कोष्ठस्थ वायु करती है । अग्नि दो
। ६३७६ लोकनाथ रसः समस्त अतिसार . पक है।
। ६३८१ लोकेश्वर , हर प्रकारके अतीसार ६६८० वृहदकोल वटकः समस्त अतिसार
और प्रवृद्ध संग्रहणीको
शीघ्र नष्ट करता है। अवलेह प्रकरणम्
। ७०६५ विश्वादि वटी पक्वापक्व, नूतन,
पुरातन और शूलयुक्त ५१९४ मधु हरीतकी आमातिसार, शूल
अतिसारको अवश्य नष्ट ६६९९ वत्सकावलेहः रक्तातिसार
करता है।
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