Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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कासश्वास
चतुर्थों भागः
८३९
अवलेह-प्रकरणम्
५९४५ रास्नाद्यं घृतम् ५ प्रकारकी कास,
शिरोकंरन ५१८८ मधुकादिलेहः क्षतज कास ५१९८ मागधिकादिलेहः कासमें अत्युपयोगी
६२६६ लघुकण्टकारी ,, ५ प्रकारकी खांसी
६७३९ वासा घृतम् पत्तजकास ५१९९ मातुलुङ्गादिलेहः पित्तज कास ६२६० लाक्षायोऽवलेहः पित्तोल्वणक्षतज कास
६७६७ व्योषाद्य घृतम् कफज कास ६७०८ वासावलेहः कास, दारुण श्वास,
तैल-प्रकरणम् पाश्वेशूल, ज्वर ६७१५ विश्वादिलेहः दुःसाध्य वातज कास
६७८९ वासा चन्दनाय कास, ज्वर, क्षय आदि
तैलम् ६७१६ विश्वाचवलेहः , , , ६७१८ वृहत्कुलत्थगुडः कफजकास, श्वास,
आसवारिष्ट-प्रकरणम् पारवे शूल, ज्वर, स्वर | ५३३७ माचिकासवः कास, श्वास, उग्रराजक्षय, तृषा, वमन
यक्ष्मा, गलरोग ६७१९ वृहदगस्त्यहरी- श्वास, कास, अरुचि, तकी ज्वर, स्वर भंग, क्षय
धूम्र-प्रकरणम्
| ५४३६ मनःशिलादि सैंकड़ों योगोंसे न नष्ट ६७२१ व्याघ्री जीरका- तमक श्वास, ऊर्ध्ववात
__धूमः होनेवाली भयंकर कास
३ दिनमें नष्ट हो वलेहः
जाती है। ६७२२ व्याघ्रीहरीतक्य. कास नाशक, स्वर
५४३७
महाकास वलेहः अग्नि वर्द्धक ।
६००५ रात्र्यादि धूमः कास ६७२४ व्योषादि लेहः कफज कास
६.७२ वारुणी पत्र ,, कासको तुरन्त नष्ट
करने वाला सिद्ध योग घृतप्रकरणम्
६८७३ विदुली दल योगः कास ५२१७ मनःशिलादि हिका
नस्य-प्रकरणम् घृतम्
| ५४५२ माक्षिकाविट् हिक्का ५२५५ मातुलुङ्गादिघृत भयंकर हिक्का
नस्यम् ५२५६ ,, ,, श्वास, कास, हिका, | ५४५३ मधुकादि , पार्श्वशूल
५८२१ यवकादि ,, ५७९४ यष्टयादि , क्षतज कास
(अनि
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