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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कासश्वास चतुर्थों भागः ८३९ अवलेह-प्रकरणम् ५९४५ रास्नाद्यं घृतम् ५ प्रकारकी कास, शिरोकंरन ५१८८ मधुकादिलेहः क्षतज कास ५१९८ मागधिकादिलेहः कासमें अत्युपयोगी ६२६६ लघुकण्टकारी ,, ५ प्रकारकी खांसी ६७३९ वासा घृतम् पत्तजकास ५१९९ मातुलुङ्गादिलेहः पित्तज कास ६२६० लाक्षायोऽवलेहः पित्तोल्वणक्षतज कास ६७६७ व्योषाद्य घृतम् कफज कास ६७०८ वासावलेहः कास, दारुण श्वास, तैल-प्रकरणम् पाश्वेशूल, ज्वर ६७१५ विश्वादिलेहः दुःसाध्य वातज कास ६७८९ वासा चन्दनाय कास, ज्वर, क्षय आदि तैलम् ६७१६ विश्वाचवलेहः , , , ६७१८ वृहत्कुलत्थगुडः कफजकास, श्वास, आसवारिष्ट-प्रकरणम् पारवे शूल, ज्वर, स्वर | ५३३७ माचिकासवः कास, श्वास, उग्रराजक्षय, तृषा, वमन यक्ष्मा, गलरोग ६७१९ वृहदगस्त्यहरी- श्वास, कास, अरुचि, तकी ज्वर, स्वर भंग, क्षय धूम्र-प्रकरणम् | ५४३६ मनःशिलादि सैंकड़ों योगोंसे न नष्ट ६७२१ व्याघ्री जीरका- तमक श्वास, ऊर्ध्ववात __धूमः होनेवाली भयंकर कास ३ दिनमें नष्ट हो वलेहः जाती है। ६७२२ व्याघ्रीहरीतक्य. कास नाशक, स्वर ५४३७ महाकास वलेहः अग्नि वर्द्धक । ६००५ रात्र्यादि धूमः कास ६७२४ व्योषादि लेहः कफज कास ६.७२ वारुणी पत्र ,, कासको तुरन्त नष्ट करने वाला सिद्ध योग घृतप्रकरणम् ६८७३ विदुली दल योगः कास ५२१७ मनःशिलादि हिका नस्य-प्रकरणम् घृतम् | ५४५२ माक्षिकाविट् हिक्का ५२५५ मातुलुङ्गादिघृत भयंकर हिक्का नस्यम् ५२५६ ,, ,, श्वास, कास, हिका, | ५४५३ मधुकादि , पार्श्वशूल ५८२१ यवकादि ,, ५७९४ यष्टयादि , क्षतज कास (अनि For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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