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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८४० भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [कासश्वास - रस-प्रकरणम् ६१५४ रुद्र पर्पटी वातज कास ५५३७ महा कालेश्वरो कास, श्वास, कण्ठ ६३३४ लक्ष्मीविलास क्षयकी खांसी, ज्वर, रोग, ज्वर, क्षय रसः श्वास ५५८२ महाश्वासारि महाश्वास, पञ्चकास ६३७० लोकनाथपोटली श्वासको ३ दिनमें नष्ट लौहम् रसः करता है। ५५८६ महाहेमगर्भरसः राजयक्ष्मा, कास ६३७१ लोकनाथपोटली कास, श्वास, निर्ब५६०७ मुक्तादि चूर्णम् हिका, श्वास, कास लता, शोथ, ज्वर, ५६१० मुक्ताभस्मयोगः हिक्का अग्निमांद्य ५६६४ मेघडम्बर रसः हिका, श्वास, ज्वर ६३८३ लोबानसत्वयागः श्वास कास नाशक उत्तम ६०५८ रस गुटिका श्वास, कास ६९५९ वत्सनाभोद्या कफको अत्यन्त शीघ्र ६०६८ रस पर्पटी राजयक्ष्माकी खांसी गुटिका नष्ट करती है । ६१०२ रसाञ्जनादिचूर्णम् , । ७०२३ विजय वटी कास, स्वास, दाह, ज्वर ६१२४ रसेन्द्र गुटिका कास, भयंकर श्वास, ७१६६ विभीतक योगः कासको अवश्य नष्ट मलावरोध, अग्निमांद्य करता है। (१६) कुष्ठ-वातरक्त-रक्तविकाराधिकारः कपाय-प्रकरणम् । ४९८३ मंजिष्ठादि (वृद्ध) उपदंश, स्लीपद, वात४९७६ मञ्जिष्ठादिक्वाथः खाज, दाद, खुजली, रक्त, प्रसुप्ति, आंखोंकी विसर्पादि गर्मी ४९७८ , समस्त कुष्ट ५०१७ मांस्यादि गणः कण्ड ४९७९ , कण्डू, विस्फोटक, ५०६३ मुस्तादि काथः कफ प्रधान वातरक्त अलसकादि ५०६९ , " , वातरक्त, कण्ड, मण्ड. ४९८० " " " लादि (सरलयोग) ४९८१ , , कपालिका कुष्ट, रक्त. ५८६३ राज वृक्षादि कुष्ठ (लघु) मण्डल, वातरक्तादि । पाचन-काथः ४९८२ वातरक्त, वातपित्त ५८७८ रास्नादि काथः सवाग गत वातरक्त For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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