Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[लकारादि
मरिचैतसंयुक्तैः प्रदातव्यो दिनत्रयम् । मात्रा-४ रत्ती। लवणं वर्जयेत्तत्र साज्यं सदधि भोजनम् ॥ इसे काली मिर्च के चूर्ण और शहदके साथ एकविंशद्दिनं यावन्मरिचं सघृतं पिबेत् ॥ | सेवन करना चाहिये। पथ्यं मृगावद्देयं शयीतोत्तानपादतः।
इसके सेवनसे कृशता, अग्निमांद्य, खांसी और बमने संपत्ते तु गुडूचीद्रवमाहरेत् ॥ हिचकीका ३ दिनमें ही नाश हो जाता है । मधुना पाययेत्साधैं दग्धवृन्ताकमाशयेत् । ___ इसके सेवन कालमें लवणका त्याग करके घी स्नानं शीतलतोयेन मुनि धारां विनिक्षिपेत् ॥ और दहीके साथ पथ्य भोजन करना चाहिये; एवं जाते श्लेष्म विकारे तु कदलीफलमाहरेत् । २१ दिन तक काली मिर्चका चूर्ण मिला कर घी भृष्ट्वा तन्मरिचैः सार्धं भोजयेच्छ्लेष्मनुत्तये ॥ पीना चाहिये । आद्रकं मधुमिश्रं वा गुडाईकमथापि वा ॥ इसमें मृगाङ्कके समान पथ्य पालन करना भृष्ट्वा कुस्तुंबुरूनीपन्निस्तुषांश्चूर्णयेत्ततः।। | और चित सोना चाहिये। शर्कराघृतमिश्रान्ददीताऽरुचिशान्तये ॥
यदि इसके सेवन कालमें वमन हो तो गिलोय भृष्ट्वा कुस्तुंबरी सम्यग्घृते शर्करया पिबेत् । के रसमें शहद मिला कर पिलाना और बैंगनका एलां मरिचसंयुक्तां यावद्वांतिः प्रशाम्यति ॥ भुरता खिलाना चाहिये; तथा शीतल जलसे स्नान अजमोदां विडङ्गं च पिष्ट्वा तक्रेण पाययेत् । कराना और शिर पर शीतल जलकी धारा छोड़नी कृमिकोपप्रशांत्यर्थ काथं वातघ्नमुस्तयोः ॥ | चाहिये। संस्कृत्य दुग्धिकां वहौ विरेके च प्रयोजयेत् । यदि कफ प्रकोप हो तो केले की फलीको ईषद् भृष्ट्वा जयाचूर्ण मधुना खादयेनिशि ॥ | मन्दाग्निमें सेक कर उसमें पीपल का चूर्ण मिला कर अङ्गतोदे घृतेनाङ्ग मर्दयित्वोष्णवारिणा। खिलाना चाहिये । अथवा अदरकको शहद या स्नापयेद्रोगिणं वैद्यो लोकनाथं रसं स्मरन् ॥ | गुड़के साथ खिलाना चाहिये ।
पारद भस्म ४ भाग, स्वर्ण भस्म १ भाग यदि अरुचि हो तो धनियेको ज़रा सेक कर और शुद्ध गन्धक ८ भाग ले कर तीनोंको एकत्र | कूट कर उसके चावल निकालें और उन्हें खांड घोट कर १ दिन चीतेके क्वाथमें खरल करें और | तथा धोके साथ खिलावें। फिर उसे कौड़ियों में भर कर उनका मुख ( दूधमें | वमनके लिये भी भुने हुवे धनियेके चावल पिसे हुवे ) सुहागेसे बन्द कर दें एवं उन्हें चूना | खांड और घीके साथ खिलाने चाहिये अथवा पुते हुवे शरावोंके सम्पुटमें बन्द करके लघुपुटमें |
| इलायची और काली मिर्च का चूर्ण (शहदके साथ) पकावे और स्वांग शीतल होने पर पीस कर | चटाना चाहिये । सुरक्षित रक्खें ।
___ यदि कृमि रोगका उपद्रव हो तो अजमोद यह रस पौष्टिक और वीर्यवर्द्धक है। और बायबिडंगका चूर्ण तक्रके साथ देना या
।
और
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