Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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तैलपकरणम्
चतुर्थों भागः
२॥ सेर तेल अथवा गाय या भैपके घीमें इसकी मालिशसे बाल कोंका शोष रोग नष्ट उपरोक्त काथ और कल्क मिला कर मन्दाग्नि पर होता है। पकावें । जब पानी जल जाय तो छान लें। । (६७७५) वचाद्यं तैलम् (२)
इसकी नस्य लेनेसे स्त्रियोंके स्तन बढ़ते हैं। (व. से. । गुल्मा. ; सु. सं. । अ. ३७) (६७७३) वचादिसूर्यपाकतैलम् | वचापुष्करकुष्ठलामदनामरसिन्धुजैः।
(रा. मा. । बालरोगा. ११) काकोलीद्वययष्टया मेदायुग्मकुटन्नटैः ।। वचाबलामूलकृतेन चूर्ण
पाठाजीरकजीवन्तीभार्गीचन्दनक-फलैः । नोन्मिश्रितं सूर्यकरप्रतप्तम् ।
सरलागुरुबिल्वाम्रवाजिगन्धामिद्धिभिः ।। पाहुः शिशूनां सकलामयन
विडङ्गारबधश्यामात्रिन्माधिकादिभिः । मभ्यञ्जनात्पुष्टिकरं च तैलम् ॥ पिष्टैस्तैलं पचेत्क्षीरे पश्चमूलीरसान्विते ।
१ सेर तिलके तेलमें बच और खरैटीकी गुल्मानाहानिमान्द्या ग्रहणीमूत्रसङ्गिनाम् । जड़का ५-५ तोले बारीक चूर्ण मिला कर धूपमें अनुवासनविधौ युक्तं शस्यतेऽनिलरोगिषु॥ रख दें । जब वह खूब गरम हो जाय तो छान लें। कल्क-बच, पोखरमूल, कूर, इलायची,
इसकी मालिशसे बालकोंके समस्त रोग नष्ट मैनफल, देवदारु, सेंधा नमक, काकोली, क्षीरहोते और वे पुष्ट होते हैं।
फाकोली, मुलैठी, मेदा, महामेदा, नागरमोथा, पाठा, ( औषधे मिला कर तेलको कांच पात्र में भर जीरा, जीवन्ती, भरंगी, सफेद चन्दन, कायफल, कर, उसका मुख बन्द करके ७ दिन तक धूपमें चीर, अगर, बेलकी छाल, आमकी छाल, असगन्ध, रखना चाहिये ।)
चीता, वृद्धि, बायबिडंग, अमलतास, काली निसोत,
निसोत और पीपल १-१ तोला ले कर सबको (६७७४) वचा तैलम् (१)
| एकत्र पीस लें। (ग नि. । बालरो. ११)
क्वाथ–बेलछाल, अरलु की छाल, खम्भाबचावयःस्थातगरकायस्थाचोरकैः शृतम् । रीकी छाल, पाढलकी छाल और अरनी ६ सेर बस्तमूत्रसुराभ्यां च तैलमभ्यअने हितम् ॥ १६ तोले ले कर सबको एकत्र कूट कर ८ गुने
__ कल्क--बच, आमला, तगर, काकोली और (४९॥ सेर ८ तोले ) पानीमें पक.वें और १२ चोरक ५-५ तोले ले कर सबको एकत्र पीस लें। सेर ३२ तोले शेष रहने पर छान लें।
२॥ सेर तिलके तेल में यह कल्क और ५-५ ३ सेर ८ तोले तिलके तेलमें उपरोक्त कल्क, सेर बकरेका मूत्र तथा सुरा ( शराब) मिला कर क्वाथ और ३ सेर ८ तोले दूध मिला कर मन्दाग्नि धीमी अग्नि पर पकावें। जब शराब और मृत्र जल पर पकावें । जब जलांश शुष्क हो जाय तो तेलको जाए तो तेलको छान लें।
छान लें।
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