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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तैलपकरणम् चतुर्थों भागः २॥ सेर तेल अथवा गाय या भैपके घीमें इसकी मालिशसे बाल कोंका शोष रोग नष्ट उपरोक्त काथ और कल्क मिला कर मन्दाग्नि पर होता है। पकावें । जब पानी जल जाय तो छान लें। । (६७७५) वचाद्यं तैलम् (२) इसकी नस्य लेनेसे स्त्रियोंके स्तन बढ़ते हैं। (व. से. । गुल्मा. ; सु. सं. । अ. ३७) (६७७३) वचादिसूर्यपाकतैलम् | वचापुष्करकुष्ठलामदनामरसिन्धुजैः। (रा. मा. । बालरोगा. ११) काकोलीद्वययष्टया मेदायुग्मकुटन्नटैः ।। वचाबलामूलकृतेन चूर्ण पाठाजीरकजीवन्तीभार्गीचन्दनक-फलैः । नोन्मिश्रितं सूर्यकरप्रतप्तम् । सरलागुरुबिल्वाम्रवाजिगन्धामिद्धिभिः ।। पाहुः शिशूनां सकलामयन विडङ्गारबधश्यामात्रिन्माधिकादिभिः । मभ्यञ्जनात्पुष्टिकरं च तैलम् ॥ पिष्टैस्तैलं पचेत्क्षीरे पश्चमूलीरसान्विते । १ सेर तिलके तेलमें बच और खरैटीकी गुल्मानाहानिमान्द्या ग्रहणीमूत्रसङ्गिनाम् । जड़का ५-५ तोले बारीक चूर्ण मिला कर धूपमें अनुवासनविधौ युक्तं शस्यतेऽनिलरोगिषु॥ रख दें । जब वह खूब गरम हो जाय तो छान लें। कल्क-बच, पोखरमूल, कूर, इलायची, इसकी मालिशसे बालकोंके समस्त रोग नष्ट मैनफल, देवदारु, सेंधा नमक, काकोली, क्षीरहोते और वे पुष्ट होते हैं। फाकोली, मुलैठी, मेदा, महामेदा, नागरमोथा, पाठा, ( औषधे मिला कर तेलको कांच पात्र में भर जीरा, जीवन्ती, भरंगी, सफेद चन्दन, कायफल, कर, उसका मुख बन्द करके ७ दिन तक धूपमें चीर, अगर, बेलकी छाल, आमकी छाल, असगन्ध, रखना चाहिये ।) चीता, वृद्धि, बायबिडंग, अमलतास, काली निसोत, निसोत और पीपल १-१ तोला ले कर सबको (६७७४) वचा तैलम् (१) | एकत्र पीस लें। (ग नि. । बालरो. ११) क्वाथ–बेलछाल, अरलु की छाल, खम्भाबचावयःस्थातगरकायस्थाचोरकैः शृतम् । रीकी छाल, पाढलकी छाल और अरनी ६ सेर बस्तमूत्रसुराभ्यां च तैलमभ्यअने हितम् ॥ १६ तोले ले कर सबको एकत्र कूट कर ८ गुने __ कल्क--बच, आमला, तगर, काकोली और (४९॥ सेर ८ तोले ) पानीमें पक.वें और १२ चोरक ५-५ तोले ले कर सबको एकत्र पीस लें। सेर ३२ तोले शेष रहने पर छान लें। २॥ सेर तिलके तेल में यह कल्क और ५-५ ३ सेर ८ तोले तिलके तेलमें उपरोक्त कल्क, सेर बकरेका मूत्र तथा सुरा ( शराब) मिला कर क्वाथ और ३ सेर ८ तोले दूध मिला कर मन्दाग्नि धीमी अग्नि पर पकावें। जब शराब और मृत्र जल पर पकावें । जब जलांश शुष्क हो जाय तो तेलको जाए तो तेलको छान लें। छान लें। For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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