Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[रकारादि अथ रकारादिलेपप्रकरणम् (५९७४) रक्तचन्दनादिलेपः और कूठ समान भाग लेकर सबको एकत्र मिला
( शा. सं । ख. ३ अ. ११) कर पानीके साथ पीस लें। चन्दनोशीरयष्टयावलाच्याघनखोत्पलैः। इसे मन्दोष्ण करके लेप करनेसे ज्वर सम्बक्षीरपिष्टैः प्रलेपः स्याद्रक्तपित्तशिरोरुजि ॥ न्धी शिर पीड़ा शान्त होती है । ___ लाल चन्दन, खस, मुलैठी, खरैटीकी जड़,
(५९७७) रक्षोनादिलेपः नखी और नीलोत्पल समान भाग ले कर सबको
(वृ. मा. । क्षुद्र रोगा.) एकत्र मिला कर दूधके साथ पीस लें। रक्षोनशर्वरीद्वयमनिष्ठागैरिकाज्यवस्तपयः।
इसका लेप करनेसे रक्तपित्त और शिरपीड़ा | | सिद्धेन लिप्तमाननमुद्यच्छरदिन्दुबिम्बवद् भाति॥ नष्ट होती है।
सरसों, हल्दी, दारु हल्दी, मजीठ और गेरु
का समान भाग चूर्ण ले कर उसे घीमें घोटें । (५९७५) रक्तचन्दनादिशिरोलेपः (रा. मा. । छZ.)
इसे बकरीके दूधमें मिला कर लेप करनेसे
मुख शरदके चन्द्रमाके समान दीप्तिमान हो अरुणचन्दनचन्दनवालकै
जोता है। नलदपद्मकतुल्यकृतांशकैः। शिरसि लेपनमाचरतां नृणां
(५९७८) रजन्यादिलेपः (१) तृट् प्रयात्युपशान्तिमसंशयम् ॥ (वृ. नि. र.; व. से. । विषा.) लाल चन्दन, सफेद चन्दन, सुगन्धबाला, रजनीद्वयमञ्जिष्ठापतङ्गगजकेशरैः । खस, और पद्माक समान भाग ले कर सबको | शीताम्बुपिष्टैरालेपः सद्यो लूतां विनाशयेत् ॥ ( पानीके साथ ) एकत्र पीस लें।
हल्दी, दारुहल्दी, मजीठ, पतङ्ग और नागशिर पर इसका लेप करनेसे तृषा अवश्य केसर; समान भाग ले कर बारीक चूर्ण बनावें । नष्ट हो जाती है ।
इसे ठण्डे पानीमें पीस कर लेप करनेसे मक(५९७६) रक्ताश्वमारपुष्पादिलेपः डीका विष शीघ्र ही नष्ट हो जाता है । ( वृ. मा. । ज्वरा.)
(५९७९) रजन्यादिलेपः (२) रक्ताश्वमारपुष्पं च धात्री धान्यं वचामयम् । (बृ. नि. र. । क्षुद्र रोगा.) पिष्ट्वा कोष्णो ज्वरे कार्यों लेपो मूर्धरुजापहः॥ रजनीमार्कवं मूलं पिष्टं शीतेन वारिणा ।
लाल कनेरके फूल, आमला, धनिया, बच, । तल्लेपाद्धन्ति वीस वाराहदशनाह्वयम् ॥
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