Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रसप्रकरणम् ]
चतुर्थों भागः
४४९
तक आकुली मूलके काथमें बार बार घोटते और यह रस आठ प्रकारके ज्वरांको शीघ्र ही नष्ट सुखाते रहें । तदनन्तर उसमें समान भाग मिश्रित कर देता है। स्वर्णमाक्षिक भस्म, वैक्रान्त भस्म और रोजावर्त इसे खांडमें मिला कर खिलाना चाहिये । भस्म उस सब रसके बराबर मिलाकर घोटें और फिर उसमें १ भाग गन्धक मिला कर ( उसे
(मात्रा-१ रत्ती ।) आकुली मूलके क्वाथसे घोट कर गोला बना कर ) (६१४९) रामबाणरसः (४) शराव सम्पुट में बन्द करके तुषाग्निमें फूंक दें। (भै. र. । अग्निमांद्या.; वृ. नि. र. । अजीर्णा.; इसी प्रकार गन्धक योगसे ६ पुट दें। अन्तमें उसे | र. चं. । अग्निमांद्या; धन्व ; रसे. चि. म.। अ. ; आकुलीके बीज और बबूलकी छालके काथकी पृथक् | र. का. थे. । अरोचका.; ररो. सा. सं. ; वै. २..। पृथक् ३-३ भावना दे कर सुखा लें । अजीर्णा.; वृ. यो. त. । त. ७१) मात्रा-३ रत्ती।
पारदामृतलवङ्गगन्धकं इसे गिलोयके सतके साथ सेवन करनेसे सम- भागयुग्ममरिचेन मिश्रितम् । स्त प्रमेह अवश्य नष्ट हो जाते हैं।
जातिकाफलमथाxभागिकं जिस प्रकार रामके बाण और सत्पुरुषों के तिन्तिडीफलरसेन मर्दितम् ।। वचन व्यर्थ नहीं जाते उसी प्रकार यह रस भी माषमात्रमनुपानयोगतः कभी निष्फल नहीं होता।
सद्य एव जठराग्निदीपनः। (६१४८) रामबाणरसः (३)
सङ्ग्रहग्रहणिकुम्भकर्णकं ( वै. र. । ज्वरा.)
सामवातखरदूषणं जयेत् ॥ हरवीजकटुत्रयटङ्कणकं
वन्मिान्धदशवक्त्रनाशनो जयपालकहंसकगन्धयुतम् ।
रामबाण इति विश्रुतो रसः ॥ गरलं च समं सह शर्करया
शुद्ध पारद, शुद्ध बछनाग ( मीठा विष ), सहसा जयति ज्वरमष्टविधम् ॥ लौंगका चूर्ण और शुद्र गन्धक १-१ भाग, काली शुद्ध पारा, सेांठ, मिर्च और पीपलका चूर्ण, | मिर्चका चूर्ण २ भाग और जायफलका चूर्ण आधा सुहागेकी खील, शुद्र जमालगोटा, शुद्ध शिंगरफ भाग लेकर प्रथम पारे गन्धककी कज्जली बनावें (हिंगुल), शुद्ध गन्धक और शुद्ध बछनाग (मीठा और फिर उसमें अन्य औषधे मिला कर सबको विष ) समान भाग लेकर प्रथम पारे गन्धककी | इमलीके फलोंके रसमें घोट कर उड़दके समान कजली बना और फिर उसमें अन्य ओषधियांका गोलियां बना लें। चूर्ण मिला कर खरल करें।
इन्हें यथोचित अनुपानके साथ सेवन करनेसे
५७
For Private And Personal Use Only