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लेश्या द्वार में ज्योतिषी देवो में सिर्फ एक तेजोलेष्या ही पाई जाती है। ज्ञान द्वार में तीनों ज्ञान और तीनों अज्ञान पाये जाते हैं। असंज्ञी ज्योतिषी दोनों में उत्पन्न नहीं होते अतएव विभंगज्ञान पर्याप्त अवस्था में भी होता है।
वैमानिक देवों में भी लेश्याद्वार में भवनवासियों से कुछ भिन्नता है। वैमानिकों में तेजोलेश्या आदि-तीन शुभ लेश्याएं ही पाई जाती हैं। इसी प्रकार ज्ञानद्वार में तीन ज्ञान और तीन अज्ञान यहां कहने चाहिएं।
___ 'सेवं भंते, सेवं भंते' पदों का विवेचन पहले के समान ही समझना चाहिए।
- भगवती सूत्र व्याख्यान ८५