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मंडल आंखों में आ पड़ता है अथवा आंख शरीर से बाहर निकल कर सूर्य मंडल में जा पहुंचती है। ऐसा समझना अज्ञान होगा और यह दोनों ही बातें प्रत्यक्ष से बाधित हैं। इसका अर्थ सिर्फ यह है कि अगर आंख पर जरा सा भी पर्दा पड़ा हो या आंख बन्द हो तो सूर्य नहीं दिखेगा। सूर्य का मंडल तभी दिखाई देगा जब आंखें खुली हों और दोनों के बीच अतिशय दूरी न हो तथा अन्य कोई बाधक आड़ न हो। इस प्रकार सूर्य-मंडल के दिखाई देने को ही यहां स्पर्श होना कहा है।
आंखों की शक्ति सूर्य को देखने जितनी नहीं है, न आंखों का इतना विषय ही है। आंख का विषय एक लाख योजन (कच्चा) कहा जाता है। यह भी सर्व साधारण को प्राप्त नहीं। लब्धिधारी ही इतनी दूर की वस्तु देख सकता है। अतएव इतने ऊंचे सूर्य को देखने की शक्ति आंखों में नहीं है। परन्तु सूर्य अपनी रोशनी से ऐसा हो जाता है कि वह छोटे से छोटे को भी दिखाई पड़ता है। आंखों पर भी सूर्य ही प्रकाश डालता है; तभी आंखें देखने में समर्थ होती हैं अन्यथा नहीं। इस अपेक्षा से सूत्र में चक्षु का स्पर्श कहा है।
बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें स्वर्ग के विषय में सन्देह है। पर क्या दिखाई देने वाला सूर्य-मंडल स्वर्ग के अस्तित्व का प्रमाण नहीं है ? जब सूर्य-मंडल प्रत्यक्ष है तो उस में रहने वाले भी कोई होंगे ही। आजकल के वैज्ञानिक भी मंगल के तारे में सृष्टि बतलाते हैं और कहते हैं कि वहां रहने वालों से बातचीत करने का प्रयत्न जारी है। ऐसी अवस्था में स्वर्ग के विषय में सन्देह कैसे किया जा सकता है?
सिद्धांत कहता है कि स्वर्ग के विषय में सन्देह करने की जरूरत नहीं है। स्वर्ग के विषय में सन्देह करने का कारण तब हो सकता था, जब हम स्वर्ग बतलाकर उसका प्रलोभन देकर स्वर्ग पाने का उपदेश देते ! जैन सिद्धांत तपस्या का महत्व बतलाता है और इसलोक तथा परलोक संबंधी आकांक्षा का त्याग करने का उपदेश देता है।
बहुत से लोग, जनता को लालच दिखलाकर धर्म का उपदेश देते हैं। जैसे ईसाई बिना स्त्री वाले को स्त्री देकर, वस्त्रहीन को वस्त्र और भोजन जिसके पास न हो उसे भोजन देकर अपने धर्म में मिलाते हैं। यद्यपि उनके धर्मग्रंथ बाईबिल में ऐसा करने का नहीं लिखा है कि लालच देकर दूसरे को अपने धर्म में मिलाओ, मगर उनके धर्मगुरुओं ने, पोपों और पादरियों ने यह चाल चलाई है कि लोभ देकर लोगों को अपने धर्म में मिला लिया जाय। जैन धर्म और जैन साधु ऐसा कोई भी लोभ नहीं देते। ऐसी दशा में यह कैसे कहा ६० श्री जवाहर किरणावली
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