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के लिए जाता है, ऐसी स्थिति में यह कैसे कहा जाय कि वह रास्ता चलने वाला बम्बई गया है? इसका उत्तर यह है कि एक रास्ता चाहे चार जगह के लिये जावे, लेकिन प्रश्न तो यह है कि जाने वाले ने कहां जाना निश्चय किया है और वह कहां जा रहा है? एक रास्ता बम्बई भी जाता हो और पूना भी जाता हो, तब भी बम्बई जाने वाला उसे बम्बई का और पूना जाने वाला पूने का रास्ता कहेगा। अगर जाने वाले ने पहले से ही अपना लक्ष्य निर्धारित न कर लिया होगा तो वह गड़बड़ में पड़ जाएगा और कहीं का कहीं मारा-मारा फिरेगा।
इतने पर भी अगर यह कहा जाय कि जाने वाला अभी जा रहा है-बम्बई पहुंचा नहीं है, अतः भविष्य काल का प्रयोग करना चाहिए; तो वह जितना चला है, वह चलना निरर्थक हो जायगा। अतएव लोक-संगत ऐसा व्यवहार करने में कोई बाधा नहीं है।
___ गौतम स्वामी पूछते हैं-भगवन्! जिस क्षेत्र को सूर्य की किरणें स्पर्श करने लगी, उस क्षेत्र के सम्बन्ध में 'स्पर्श किया ऐसा कहा जा सकता है? भगवान् ने फरमाया-गौतम! हां, ऐसा कहा जा सकता है।
अब गौतम स्वामी पूछते हैं-भगवन्! सूर्य स्पर्श किये हुए क्षेत्र का स्पर्श करता है या बिना स्पर्श क्षेत्र का स्पर्श करता है?
लोक व्यवहार में बिना स्पर्श को भी 'स्पर्श किया' कहते हैं ; जैसे पड़ौसी के सम्बन्ध में कहा जाता है-यह हमारे सम्बन्धी हैंपास ही रहते हैं; आदि। तात्पर्य यह कि हाथ से हाथ मिलाने के समान स्पर्श न करने पर भी स्पर्श किया कहते हैं, लेकिन यहां वास्तव में स्पर्श किये हुए को ही स्पर्श करना कहा गया है।
इस प्रश्न का उत्तर भगवान ने यह दिया है कि सूर्य स्पृष्ट को ही स्पर्श करता है-अस्पृष्ट को नहीं।
६६ श्री जवाहर किरणावली.