Book Title: Bhagwati Sutra Vyakhyan Part 03 04
Author(s): Jawaharlal Aacharya
Publisher: Jawahar Vidyapith

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Page 290
________________ में नहीं ला सकते। उदाहरणार्थ-किसी राजा को योग सिद्ध है। कौन आदमी क्या संकल्प करता है, यह बात उसे मालूम है। लेकिन वह अगर संकल्प के आधार पर ही सजा देने बैठे तो नित्य न जाने कितने आदमी दण्ड भोगेंगे? और बड़ी गड़बड़ी पड़ेगी। मतलब यह है कि केवल संकल्प ही मानने से व्यवस्था नहीं रह सकती। व्यवहार के साथ संकल्प का विचार तो किया जाता है पर केवल संकल्प व्यवहार में नहीं देखा जाता। राजकीय कानून के अनुसार भी अगर कोई आदमी किसी आदमी पर गोली चलावे, पर गोली लगे नहीं और जिस पर गोली चलाई गई है, वह बच जाय तो गोली चलाने वाले को फांसी की सजा नहीं होती। अर्थात् मारने वाले ने जिसके संबंध में संकल्प किया है, उसकी हानि का भी विचार किया जाता है। इसी प्रकार मृग मारने का संकल्प करने से निश्चय में तो पांच क्रियाएं लगीं, मगर व्यवहार में तीन, चार और पांच क्रियाओं का भेद है। यद्यपि पाप की जड़ मन ही है, परन्तु व्यवहार में पाप कार्य देख कर ही किसी को पापी कहा जा सकता है। मन में पाप करने का संकल्प हुआ, किन्तु पीछे मन में ही उस पाप के विषय में पश्चात्ताप कर लिया, तो मानसिक पाप का प्रायश्चित्त मानसिक पश्चात्ताप से ही हो जाता है। अब गौतम स्वामी पूछते हैं-भगवन्! एक पुरुष मृग मारने की आजीविका करता है। वह मृग मारने के उद्देश्य से वन में गया। उसने 'यह मृग है ऐसा विचार कर किसी एक मृग पर बाण चढाया। वह बाण छोड़ने को ही था कि पीछे से एक और आदमी आ गया और उसने बाण चढाने वाले पुरुष को मार डाला। परन्तु बाण चढाने वाले आदमी के हाथ से बाण छूट गया और उससे वह मृग मर गया। तो पीछे से आकर मारने वाला पुरुष मृग के वैर से स्पृष्ट हुआ या पुरुष के वैर से स्पृष्ट हुआ? पहले वाले पुरुष का सिर कट गया था और सिर कटने के बाद बाण छूटा। ऐसी दशा में उस पुरुष को, मारने वाले दूसरे पुरुष को पुरुष और मृग-दोनों का वैर लगा अथवा केवल पुरुष या केवल मृग का? ___ इस प्रश्न का उत्तर भगवान् ने दिया हे गौतम! जो पुरुष पुरुष को मारने के लिए तत्पर हुआ उसे पुरुष का वैर लगा और जो मृग मारने के लिए तत्पर हुआ उसे मृग का वैर लगा। गौतम स्वामी फिर पूछते हैं-हे भगवन्! उस पुरुष का सिर तो पहले ही कट गया था, फिर उसे मृग मरने का वैर क्यों लगा? दूसरे पुरुष ने पहले - भगवती सूत्र व्याख्यान 277

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