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गौतम स्वामी के प्रश्न के उत्तर में भगवान ने कहा- हे गौतम! गर्भ में रहा हुआ कोई जीव नरक में जाता है और कोई नहीं जाता।
. गौतम स्वामी फिर प्रश्न करते हैं-भगवन्! ऐसा क्यों है? तब भगवान फरमाते हैं-हे गौतम! यह बात साधारण जीव के लिए मत समझो किन्तु ओजस्वी, क्षत्रिय वंशी, राजवीर्य के लिए ऐसा कहा गया है। ऐसे जीव के बिना यह तेज नहीं आ सकता। गर्भ में किसी राजा का संज्ञी पचेन्द्रिय और पर्याप्त जीव हो, तो वह गर्भ में ही मरकर नरक में जा सकता है। जिसे वीर्य की अर्थात् पराक्रम की लब्धि प्राप्त हुई हो तो वह गर्भ में भी पराक्रम कर सकता है। राजा के उस जीव को यदि वीर्य की लब्धि और वैक्रिय लब्धि प्राप्त हो तो वह गर्भ से ही नरक में जा सकता है।
शास्त्र कहता है-वीर्य की लब्धि प्राप्त हो और वैक्रिय लब्धि प्राप्त न हो, या वैक्रिय लब्धि प्राप्त हो मगर वीर्य लब्धि प्राप्त न हो तो काम नहीं चल सकता। इन दोनों के होने पर ही काम चल सकता है।
गर्भ का जीव माता के सुख से सुखी और माता के दुःख से दुखी रहता है। माता के हर्ष और शोक का प्रभाव, गर्भ के बालक पर अवश्य पड़ता है। इसी कारण गर्भ की रक्षा करने वाली माता तीव्र हर्ष-शोक आदि नहीं करती। गर्भ चिकित्सा में लिखा है कि गर्भवती माता अगर भयभीत होती है तो उस भय का संस्कार गर्भ पर भी पड़ता है।
__ मान लीजिए, रजवीर्य का, वैक्रिय लब्धि और वीर्य लब्धि से युक्त बालक गर्भ में है और उसका पिता मर गया है। इतने में माता पर एक मुसीबत आ पड़ी। कोई दूसरा राजा अपनी सेना लेकर चढ आया। पिता मर गया है, आप गर्भ में है और माता चिन्ता में पड़ी है कि मेरा राज्य जा रहा है। इस गर्भस्थ बालक के पिता के प्रताप से तो सब लोग कांपते थे,पर उनके न रहने से मेरे राज्य के चले जाने का मौका आ गया! माता की चिन्ता का प्रभाव गर्भ के बालक पर भी पड़ता है और माता के मनोगत विचारों के अनुसार गर्भस्थ बालक के भी विचार होते हैं। वह बालक भी विचारने लगता है-'अहो यह शत्रु राजा मेरे पिता का राज्य लेने आया है। यह सोच कर उसका अहंकार उग्र बनता है। फिर वैक्रिय लब्धि द्वारा वह आत्मप्रदेशों को गर्भ से बाहर निकाल वैक्रिय समुदघात करता है। वैक्रिय समुदघात करके वह गर्भ का बालक हाथी, घोड़े, रथ और प्यादे की चतुरंगिनी सेना तैयार करता है और आई हुई शत्रु की सेना से लड़ाई करता है। वह गर्भ का बालक, यह सभी कुछ धन-कामना से, राज्य-कामना से, भोग-कामना से, और काम-कामना से २२६ श्री जवाहर किरणावली
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