Book Title: Bhagwati Sutra Vyakhyan Part 03 04
Author(s): Jawaharlal Aacharya
Publisher: Jawahar Vidyapith
View full book text
________________
प्रश्न-पुरिसे णं भंते! कच्छंसि वा, जाव अण्णयरस्स-मियस्स वहाए आययकण्णाययं उसु आयामेत्ता चिट्ठज्जा, अण्णे य से पुरिसे मग्गओ आगम्म सयपाणिणा असिणा सीसं छिंदेज्जा, से य उसू ताए चेव पुव्वाया मणयाए तं मियं विंधेज्जा, से णं भंते! पुरिसे किं मिय वेरेणं पुटे? पुरिस वेरेणं पुटे?
उत्तर-गोयमा! जे मियं मारेइ, से मिय वेरेणं पुटे जे पुरिसं मारेइ, से पूरिस वेरेणं पुटे? ।
प्रश्न-से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ जाव पुरिस वेरेणं पुटे?
उत्तर-से णू णं गोयमा! कज्जमाणे कडे, संधिज्जमाणे संधिए, णिव्वत्तिज्जमाणे निव्वत्तिए, निसरिज्जमाणे णिसिट्टे त्ति वत्तव्वं सिया?
__'हंता, भगवं! कज्जमाणे कड़े, जाव निसरिज्जमाणे णिसिद्धे त्ति वत्तव् सिया।
से तेणटेणं गोयमा! जे मियं मारेइ, से मिय वेरेणं पुढे। जे पुरिसं मारेइ, से पुरिस वेरेणं पुढे । अंतो छण्हं मासाणं मरइ काइयाए, जाव पंचहिं करियाहिं पुढे बाहिं छहं मासाणं मरइ, काइयाए, जाव-पारियावणियाए चउहि किरियाहिं पुढे।
प्रश्न- पुरिसे णं भंते! पुरिस सत्तीए समभिधंसेज्जा, सय पाणिणा वा, से असिणा सीसं छिंदेज्जा, तओ णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए?
उत्तर-गोयमा! जावं व णं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीए सममिट सेइ, सय पाणिणा वा, से असिणा सीसं छिंदइ, तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहि गरणियाए, जाव-पाणाइवाय किरियाए पंचहिं किरियाहिं पुढे। आसण्ण वहएण य अणवकखणवत्तीए णं पुरिसवेरेणं पुढे।
प्रश्न-दो भंते! पुरिसा सरिसया, सरित्तया, सरिव्वया, सरिस भंड-मत्तोवगरणा, अण्णमण्णेणं सद्धिं संगामं संगामेइ, तत्थ णं एगे पपुरिसे पराइणिइ, एगे पुरिसे पराइज्जइ; से कहमेयं भंते ! एवं?
उत्तर-गोयमा! एवं वुच्चइ-सवीरिए परायिणइ, अवीरिए परायिज्जइ।
प्रश्न-से केणद्वेणं जाव-परायिज्जइ?
उत्तर-गोयमा! जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माई णो बद्धाइं, णो पुट्ठाई, जाव-णो अभिसमण्णा गयाइं णो उदिण्णाई, उवसंताई भवति, २७० श्री जवाहर किरणावली

Page Navigation
1 ... 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290