________________
भाटों ने उत्तर दिया- मारवाड़ में बनराज सरीखा वीर पुरुष उत्पन्न करना है । इसी उद्देश्य से आपको लिये जा रहे हैं। तब जयशिखर ने हंस कर कहा- वनराज अकेले मुझ से नहीं पैदा हुआ है। बनराज की मां सरीखी मां ही वनराज को जन सकती है। भाटों ने कहा- मारवाड़ में कन्याओं की कमी नहीं है।
जयशिखर ने कहा- कन्याएं तो होंगी, पर प्रत्येक से वनराज पैदा नहीं हो सकता । वनराज की मां जैसी स्त्री ही वनराज को जन्म दे सकती है। मैंने तुम्हें मुंह मांगा वरदान दिया है, इसलिए मैं तुम्हारे साथ चल ही रहा हूं। परन्तु पहले देख लो कि वनराज की मां सरीखी कोई कन्या मारवाड़ में है या नहीं?
भाट बोले- आखिर वनराज की मां कैसी थी ?
जयशिखर ने कहा- वनराज की माता का परिचय देने के लिए एक घटना बतलाता हूं उसी से तुम्हें उसके व्यक्तित्व का पता चल जायगा । जिस समय वनराज 6 महीने का था, उस समय एक बार मैं रानी के महल में गया । उस समय वनराज लेटा हुआ था । वनराज की मां से मैंने छेड़-छाड़ की। तब उसने कहा- आपको लज्जा नहीं मालूम होती कि सामने पर-पुरुष लेटा हुआ है । और आप मुझ से छेड़ छाड़ कर रहे हैं। मैंने हंस कर कहा - यह 6 महीने का शिशु ही क्या पुरुष है? तब उस ने उत्तर दिया - इसे 6 महीने का जान क्या आप पुरुष ही नहीं समझते?
मैं नहीं माना। मैंने फिर रानी से छेड़-छाड़ की। तब वनराज ने अपना मुंह फेर लिया। रानी ने यह देख कर कहा- देखो, तुम जिसे निरा शिशु समझते थे, उसने मुंह फेर लिया! मेरी प्रतिज्ञा थी कि मैं पर पुरुष के सामने अपनी इज्जत नहीं जाने दूंगी। लेकिन आपने पर पुरुष के सामने इज्जत लेकर मुझे प्रतिज्ञा भ्रष्ट कर दिया।
आखिर इसी बात पर वनराज की माता जहर पीकर सो गई। उसने फिर कभी मुंह नहीं बतलाया । तुम्हारे यहां कोई ऐसी माता है ?
भाटों को यह सुनकर आश्चर्य हुआ। उन्होंने हताश होकर कहा- महाराज, हमारे यहां ऐसा कन्यारत्न मिलना कठिन है। अब आप प्रसन्नतापूर्वक लौट सकते हैं। निष्कारण कष्ट करने से क्या फायदा?
क्या बलवीर की यह बात साधारण आदमी की समझ में आ सकती है ? वीर पुरुषों की यह बात वीर ही समझ सकते हैं। 6 मास के बालक की यह बात इतिहास की है और सिद्धान्त में गर्भ के बालक की बात लिखी है ।
भगवती सूत्र व्याख्यान २२६