________________
प्रश्न-भगवन्! पिता के कितने अंग कहे हैं?
उत्तर-हे गौतम! पिता के तीन अंग कहे हैं। वे इस प्रकार-हड्डी, मज्जा और केश-दाढी-रोम तथा नख।
प्रश्न-भगवन्! माता और पिता के अंग संतान के शरीर में कितने काल तक रहते हैं?
उत्तर-गौतम! संतान का भवधारणीय शरीर जितने समय तक रहता है उतने समय तक वे अंग रहते हैं। और जब भवधारणीय शरीर समय-समयहीन–प्रतिक्षण क्षीण होता जाता है और अन्त में जब नष्ट होता है, तब माता-पिता के अंग भी नष्ट हो जाते हैं।
व्याख्यान गौतम स्वामी प्रश्न करते हैं, भगवन्! सन्तान के शरीर में माता के कितने अंग हैं?
उत्तर-हे गौतम! सन्तान के शरीर में तीन अंग माता के हैं-यथा मांस, रक्त और मस्तक का भेजा। ये तीन माता के शोणित से बने हुए हैं।
प्रश्न-गौतम स्वामी फिर प्रश्न करते हैं, भगवन्! जिस प्रकार माता के तीन अंग हैं, उसी प्रकार पिता के कितने अंग हैं?
भगवान् उत्तर फरमाते हैं हे गौतम! पिता के भी तीन अंग हैं-हाड, हाड की मिंझी और केश रोम-नख आदि
शेष अंग सब माता एवं पिता दोनों के पुद्गलों से बने हुए हैं। इसलिये-शास्त्रकार कहते हैं कि माता पिता के उपकार से कभी उऋण नहीं हो सकता। यह शरीर उन्हीं माता पिता की देन है। अतः मनुष्य को माता-पिता का उपकार मानते हुए उनकी सेवा भक्ति करके उनका शुभाशीर्वाद प्राप्त करना ही हितावह होता है। जो मनुष्य माता-पिता की सेवा न करते हुए उन्हें दुःख कष्ट देते हैं और उनके हृदय को चोट पहुंचाते हैं वे अपनी उन्नति नहीं कर सकते! किन्तु जो सन्तान माता-पिता की सेवा भक्ति करते हैं, उनके चित्त को शान्ति पहुंचाते हैं, वे फलते-फूलते व अपना विकास करके संसार में यश प्राप्त करते हैं। वे धर्म भी सुगमता से प्राप्त कर उसके आराधक बन सकते हैं । क्योंकि मनुष्य की जड़ माता-पिता का हृदय है, वह जब तक हरा भरा बना रहता है तब तक मनुष्य फलता-फूलता है, किन्तु जब माता पिता का हृदय दग्ध कर दिया जाता है तो मनुष्य भी सूख जाएगा। मनुष्य के शरीर में माता-पिता के अंगों का संबंध जिन्दगी तक रहता है इस विषय में गौतम स्वामी प्रश्न करते हैं कि
- भगवती सूत्र व्याख्यान २२१
BRRRR &888
3888999999999999999888888889999999999999999999
.