Book Title: Bhagwati Sutra Vyakhyan Part 03 04
Author(s): Jawaharlal Aacharya
Publisher: Jawahar Vidyapith

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Page 211
________________ नरक में तीखे शस्त्र से तुम्हें काटा गया, फिर भी तुम्हारी सत्ता-अस्तित्व आज भी बनी हुई है। तुम अमर रहे और अमर ही रहोगे। जब नरक की वेदना से भी तुम्हारी कोई हानि नहीं हुई तो संसार की छोटी-छोटी हानियां तुम्हारा क्या बिगाड़ सकती हैं? आजकल लोग यह बात भूल-से गये हैं कि आत्मा अजर-अमर, अविनाशी है। इसी कारण लोग मृत्यु से बेहद डरते हैं। वास्तव में, “मैं बोलने वाला कभी मरता नहीं है। तब मरना क्या झूठी कल्पना है? अगर मृत्यु झूठी कल्पना नहीं है तो फिर कौन मरता है? मृत्यु क्या चीज है? यह सब गूढ प्रश्न है। आत्मा का सिर्फ रूपान्तर होता है। वह शरीर छोड़कर दूसरा शरीर धारण करता है। वास्तव में आत्मा का विनाश नहीं होता। केवल आत्मा ही क्यों, संसार में जितनी वस्तुएं हैं, उनमें से कोई भी ऐसी नहीं है, जो अमर न रहे। जो आज है, वह सदैव थी और सदैव रहेगी। कभी वह मिट नहीं सकती। धूल का एक कण भी कभी सर्वथा अभाव रूप नहीं हो सकता। गीता में कहा है नासतो विद्यते भावः, नाभावो विद्यते सतः। अर्थात्-जो चीज है, वह कभी 'नहीं' में नहीं बदल सकती और जो नहीं है, वह कभी हो नहीं सकती। उदाहरण के लिए पानी की एक बूंद को ही समझिए। स्थूल दृष्टि से यह समझा जाता है कि जल का एक बिन्दु सूख कर सदा के लिए असत्-नास्ति रूप बन जाता है मगर यह समझ सही नहीं है। वह अपने मूल तत्व में जाकर मिल जाता है। पदार्थों का सदैव परिवर्तन होता रहता है। कभी घड़े से मिट्टी बनती है, कभी मिट्टी से घड़ा बनता है। इस प्रकार जब एक रज-कण भी नहीं मिटता तो अनादि काल से कूद-फांद करने वाला यह आत्मा कैसे नष्ट हो सकता है? अगर आत्मा है तो वह सदैव के लिए है। घर का आदमी जब मर जाता है तो लोग शोक से व्याकुल होकर रोते हैं, मानो वह कहीं रहा ही नहीं है। किन्तु आत्मा वास्तव में पलटा खा कर दूसरी जगह चला जाता है। व्यवहार में भले ही उसे 'मरा' कह दो, मगर तात्त्विक दृष्टि से वह मरता नहीं है। ___ जब आत्मा अमर है तो रोना किस बात का? यह ठीक है कि पुत्र जब परदेश जाने लगता है तो मां की आंखों में आंसू आ जाते हैं। इस जाने में घर का बदला-परिवर्तन ही तो होता है और अभ्यास न होने के कारण माता १६८ श्री जवाहर किरणावली - BOORBORDER98888888308600000866600

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