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उस मसक के ऊपर के (खाली) भाग में पानी भरे। फिर मसक का मुंह बंद कर दे। फिर उस मसक की बीच की गांठ खोल दे। तो हे गौतम! वह भरा हुआ पानी उस हवा के ऊपर ही ऊपर के भाग में रहेगा?
'हां, रहेगा। इसलिए मैं कहता हूं कि यावत् 'कर्मों ने जीवों का संग्रह कर रक्खा
है।
अथवा हे गौतम! कोई पुरुष चमड़े की उस मसक को हवा से फुलाकर अपनी कमर पर बांध ले। फिर वह पुरुष अथाह, दुस्तर और पुरुषा भर से ज्यादा (जिसमें पुरुष मस्तक तक डूब जाय, उससे भी अधिक) पानी में प्रवेश करे। तो हे गौतम ! वह पुरुष पानी के ऊपरी सतह पर ही रहेगा?
'हां, रहेगा।
इस प्रकार लोक की स्थिति आठ प्रकार की कही है, यावत्-कर्मों ने जीवों को संग्रहीत कर रक्खा है।
व्याख्यान अब रोह अनगार के प्रश्नों से संबंध रखने वाला प्रश्न गौतम स्वामी पूछते हैं। गौतम स्वामी कहते हैं- भगवन्! रोह ने लोक, अलोक आदि के संबध में प्रश्न किये और आपने उत्तर दिये। परन्तु लोक-स्थिति कितने प्रकार की है?
इस प्रश्न का भगवान ने उत्तर दिया-हे गौतम! आठ प्रकार की है। गौतम स्वामी फिर पूछते हैं-भगवन! आठ प्रकार की कैसे है? ।
इस विषय में भगवान ने जो निरूपण किया है, उसे जानने से पहले संसार का रंग समझ लेने की आवश्यकता है। गौतम स्वामी ने, जिस पृथ्वी पर हम लोग ठहरे हुए हैं, उसके विषय में यह प्रश्न किया है। इस पृथ्वी के नीचे सात पृथ्वियां और हैं मगर जिस पृथ्वी पर हम लोग स्थित हैं, वह किस आधार पर ठहरी है, यही गौतम स्वामी का प्रश्न है।
___ इस विषय में अन्य मतावलम्बी जो कुछ कहते हैं वह गौतम स्वामी को ठीक ठीक नहीं जंचा, इसी कारण उन्होंने यह प्रश्न किया है।
कुछ लोगों का कहना है कि यह पृथ्वी शेषनाग पर ठहरी है। अगर यह कथन मान लिया जाय तो प्रश्न होता है कि शेषनाग किस आधार पर ठहरा है? अगर शेषनाग को कच्छप के सहारे और कच्छप (कच्छवे) को जल पर आश्रित कहा जाय तो भी प्रश्न समाप्त नहीं होता। आखिर जल किस पर ठहरा है, यह प्रश्न खड़ा ही रहता है। इसके अतिरिक्त जिस शेषनाग के फन
- भगवती सूत्र व्याख्यान १६३
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