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सत्संग से कुसंग के परमाणु निकल जाते हैं और नये शुद्ध परमाणु दाख़िल होते हैं।
'यह तो, यदि हींग की गंध किसी पतीले में समा गई हो तो छः महीने बाद उस पतीले में खीर बनाएँ तो वह बिगड़ जाती है। इस हींग के संग का छ: महीने तक असर रहे तो कुसंग का संग लगे, तब तो आपके अनंत काल बिगाड़ दे ऐसा है । ' दादाश्री
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मंत्र, वह विज्ञान है, गप्प नहीं है । उनमें भी 'त्रिमंत्र,' वह तो संसार विघ्नहर्ता है। त्रिमंत्र निष्पक्षपाती मंत्र है, सर्व धर्म समभाव सूचक है, सर्वधर्म के रक्षक देवी-देवता इससे राज़ी रहते हैं। मंत्र का असर कब होता है ? 'ज्ञानीपुरुष' के हाथों यदि विधिपूर्वक दिया गया हो, तो वह ग़ज़ब का असर करे, ऐसा है। जब तक व्यवहार बाकी रहता है, तब तक तीनों मंत्र‘नवकार, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय और ॐ नमः शिवाय, ' ऐसे एक साथ बोलने होते हैं। सिर्फ नवकार मंत्र, वह सन्यस्त मंत्र है। जब तक यथार्थ सन्यस्त प्राप्त नहीं हुआ, तब तक तीनों मंत्र एक साथ बोलने होते । सन्यस्त का मतलब भेष बदलना, ऐसा नहीं है लेकिन आत्मज्ञान प्राप्त होना, वह है ।
आज जगत् की कैसी दशा हुई है, उसके निमित्त से दादाश्री समझाते हैं। दादाश्री कहते हैं कि सन् १९४२ से मैं कहता आया हूँ कि जगत् पूरा मैन्टल हॉस्पिटल में कन्वर्ट हो रहा है ।
जहाँ देखो वहाँ निरा पागलपन ही दिखता है । आप पूछते क्या हो और सामनेवाला जवाब क्या देता है ! एक-दूसरे के साथ कोई तालमेल ही नहीं बैठता। छोटी-छोटी बातों के लिए बड़े-बड़े झगड़े करते हैं, वह मैन्टल नहीं तो फिर और क्या है?
आज की नई पीढ़ी के युवा लड़के-लड़कियों की लोग बहुत बुराई करते हैं, लेकिन दादाश्री कहते हैं कि यही युवा पीढ़ी हिन्दुस्तान का नाम रोशन करेगी और दादाश्री की सहज वाणी निकली है कि 'हिन्दुस्तान सन् २००५ में पूरे वर्ल्ड का केन्द्र बन चुका होगा ।' अभी हो रहा है
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