________________ उपक्रम निरूपण] उपक्रम आदि का क्रमविन्यास–निक्षेपयोग्यताप्राप्त वस्तु निक्षिप्त होती है और इस योग्य बनाने का कार्य उपक्रम द्वारा होता है / अत: सर्वप्रथम उपक्रम और तदनन्तर निक्षेप का निर्देश किया है ! नाम आदि के रूप में निक्षिप्त वस्तु ही अनुगम की विषयभूत बनती है, इसलिये निक्षेप के अनन्तर अनुगम का तथा अनुगम से युक्त (ज्ञात) हुई वस्तु नयों द्वारा विचारकोटि में आती है, अतएव अनुगम के बाद नय का कथन किया गया है। उपक्रम के भेद और नाम-स्थापना उपक्रम 76. से कि तं उवक्कमे ? उवक्कमे छविहे पण्णत्ते। तं जहा-नामोवक्कमे 1 ठवणोवक्कमे 2 दग्वोबक्कमे 3 खेतोवक्कमे 4 कालोवक्कमे 5 भावोवक्कमे 6 / [76 प्र.] भगवन् ! उपक्रम का स्वरूप क्या है ? [76 उ.] प्रायुष्मन् ! उपक्रम के छह भेद हैं। वे इस प्रकार--१. नाम-उपक्रम, 2. स्थापनाउपक्रम, 3. द्रव्य-उपक्रम, 4. क्षेत्र-उपक्रम, 5. काल-उपक्रम, 6. भाव-उपक्रम / 77. नाम-ठवणाओ गयाओ। [77] नाम-उपक्रम और स्थापना-उपक्रम का स्वरूप नाम-प्रावश्यक एवं स्थापनाअावश्यक के समान जानना चाहिये। विवेचन-सूत्रकार ने इन दो सूत्रों में उपक्रम के भेदों के साथ नाम और स्थापना उपक्रम का स्वरूप बतलाया है / किसी चेतन या अचेतन पदार्थ का “उपक्रम' ऐसा नाम रख लेना नाम-उपक्रम है और किसी पदार्थ में उपक्रम का आरोप करना-उपक्रम रूप से उसे मान लेना स्थापना-उपक्रम कहलाता है। द्रव्य-उपक्रम 78. से कि तं दव्वोवक्कमे ? / दबोवक्कमे दुविहे पण्णत्ते / तं जहा आगमओ य 1 नोअगमओय 2 जाव जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्ते दावोवक्कमे तिविहे पण्णत्ते / तं जहा–सचित्ते 1 अचित्ते 2 मीसए 3 / [78 प्र.] भगवन् ! द्रव्य-उपक्रम का क्या स्वरूप है ? [78 उ.] अायुष्मन् ! द्रव्य-उपक्रम दो प्रकार का है-१. आगमद्रव्य-उपक्रम, 2. नोमागमद्रव्य-उपक्रम इत्यादि पूर्ववत् जानना चाहिये यावत् ज्ञायकशरीर-भव्यशरीरव्यतिरिक्त द्रव्य-उपक्रम के तीन प्रकार हैं / वे इस तरह ..1. सचित्तद्रव्य-उपक्रम, 2. अचित्तद्रव्य-उपक्रम, 3. मिश्रशरीरद्रव्यउपक्रम / विवेचन --सूत्र में द्रव्य-उपक्रम की व्याख्या तो को है, लेकिन कतिपय विषयों के लिये संकेत मात्र किया है, जिसका स्पष्टीकरण इस प्रकार जानना चाहिये Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org