Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Author(s): Aryarakshit, Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 480] [अनुयोगद्वारसूत्र 441 . UPuror or rary or or urururP 599 0 0 0 0 णामाणि जाणि काणि वि णायम्मि गण्हियन्वे णेगेहिं माणेहि ततिया करणम्मि कया तत्थ पढमा विभत्ती तत्थ परिच्चायम्मि य तत्थ पुरिसस्स अंता तं पुण णाम तिविहं तिणि सहस्सा सत्त य तो समणो जइ सुमणो दंडं धण जुग णालिया दंदे य बहुब्बीही धेवय सरमता उ नगरमहादारा इव नंदी य खुड्डिमा पूरिमा नासाए पंचमं बूया निद्देसे पढमा होति निहोसमण समाहाण निहोसं सारवतं च पच्चुप्पन्नगाही पज्झातकिलामिययं परमाणू तसरेणू परिज़रियपेरंत परियरबंधेण भडं परियरबंधेण भड़ पंचमसरमंता उ पंचमी य अपायाणे पासुत्तमसीमंडिय पिविष्पयोग-बंध-वह पुण्ण रत्तं च प्रलंकियं पुरवरकवाडवच्छा भयजणणरूव-सइंधकार भिउडीविडंबियमुहा भीयं दुयमुप्पिच्छं मज्झिमसरमंता उ महुरं विलासललियं मंगी कोरब्बीया माणम्माण-पमाणे ANW000000000000 माता पुत्तं जहा नट्ठ 606 मित्तो 15 इंदो 16 णिरिती 17 606 रिसहेणं तु ए सज्ज 261 . रूब-वय-वेस-भासा वत्थुम्मि हत्थ मिज्ज 226 वत्थो संकमणं विणयोवधार-गुज्झ-गुरु 367 विम्हयकरो अपुल्वो वीरो सिंगारो अब्भो सक्कया पायया चेव सज्जं च अग्गजीहाए सज्ज रवइ मयूरो सज्जं रवइ मुयंगो सज्जेण लहइ वित्ति सज्जे 1 रिसभे 2 गंधारे सत्त पाणणि से थोवे सत्तसरा नाभीनो सत्तस्सरा कतो संभवंति सत्तस्सरा तयो गामा सत्थेण सूतिक्खेण वि सम्भावनिधिकारं समग सावरण य समयाऽऽवलिय-मुहुत्ता समं श्रद्धसम चेव सम्मुच्छ पुषकोडी 260 सम्बेसि पि नयाणं संगहियपिंडयत्थं संतपयपरूबणया""अप्पाबहुं चेव संतपयपरूवणया"अप्पाबहुं चेव संतपयपरूवणया"अप्पाबहुं चेव संतपयपरूवणया""सप्पाबनस्थि संहिता य पदं चेव सामा गायति महर सावज्जजोगविरती सावज्जजोगविरती 262 सिंगारो नाम रसो सिंगी सिही विसाणो सुळुत्तरमायामा / Yururururo Urry 0 . . 365 260 387 . 105 149 www.rrrrrr 09 rur, WW.WORNO 260 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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