Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Author(s): Aryarakshit, Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 536
________________ 486] [अनुयोगद्वारसूत्र 2 5 11 " 241 169 249 605 of WW 202 247 237 खयर खंद खंध खंधदेस खंधपदेस खाइय खीर (बर) खुड्ड्यिा खेत्तपलिअोवम खेत्तप्पमाण खेत्तसागरोवम खेत्ताणु पुवी खेत्तोवक्कम गणणाणुपुवी गणिपिडग गब्भवक्कंतिय गहाविमाण गंधगुणप्पमाण गंधणाम गंधारग्गाम गिल्लि गुजा गेवेज्जन गोत्तकम्म गोमुही गोव्वतिय गोहिया धय (वर) घाइकम्म घाणिदियपच्चक्ख चउजमलपय चउभाइया चउरंससंठाणणाम चरिदिन चवीसत्थन चउसट्टिमा 216 चक्खुदंसणगुणप्पमाण 21 चक्खुरिदियपच्चक्ख 72 चम्मखंडिय 402 चरित्तगुणप्पमाण 476 चरित्तभवणा 113 चरित्तमोहणिज्ज चरित्तलद्धि चंद 395 चंदपरिवेस चालणा चौरिग चूलियंग चोदन 204 चोद्दसपुवी छउमत्थ 216 छउमत्थवीतराग 90 छगच्छगयाए छंदणा 219 छेदोबट्ठावणिय छयणगदाइ जक्ख 328 जल्ल जव जहण्णयपरित्ताणतय जहण्णयपरित्तासंखेज्जय जहन्नय जुत्तासंखेज्जय जाणगसरीरदव्वखंध जाणगसरीरभवियसरीरवइरित्त जिभिंदियपच्चक्ख 423 जीवगुणप्पमाण जीवस्थिकाय जीवोदयनिष्फन 216 जुगवं 74 जुत्ताणतय 320 जुत्तासंखेज्जन 154 206 472 423 m Mov9. Mor or ur morror romorrow ( " 0 0 m 0 ". 516 366 503 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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