Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Author(s): Aryarakshit, Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 508
________________ 458] [अनुयोगद्वारसूत्र अनुगम निरूपण 500. से कितं अणुगमे ? अणुगमे दुविहे पण्णते / तं जहा-सुत्ताणुगमे य निज्जुत्तिअणुगमे य / [601 प्र.] भगवन् ! अनुगम का क्या स्वरूप है ? [601 उ.] अायुष्मन् ! अनुगम के दो भेद हैं। वे इस प्रकार-१. सूत्रानुगम और 2. निर्युक्त्यनुगम। विवेचन अनुगम-अधिकार की प्ररूपणा करने के लिये यह सूत्र भूमिका रूप है। अनुगम का लक्षण पूर्व में बताया जा चुका है। उसके दोनों भेदों के लक्षण इस प्रकार हैं सूत्रानुगम-सूत्र के व्याख्यान अर्थात् पदच्छेद आदि करके उसकी व्याख्या करने को सूत्रानुगम कहते हैं। नियुक्त्यनुगम-नियुक्ति अर्थात् सूत्र के साथ एकीभाव से संबद्ध अर्थों को स्पष्ट करना / अतएव नाम, स्थापना आदि प्रकारों द्वारा विभाग करके विस्तार से सूत्र की व्याख्या करने की पद्धति को नियुक्त्यनुगम कहते हैं। अनुगम के इन दोनों भेदों में से सूत्रानुगम का वर्णन आगे सूत्रस्पशिक नियुक्ति के प्रसंग में किये जाने से यहाँ पुनरावृत्ति न करके नियुक्त्यनुगम का निरूपण करते हैं / नियुक्त्यनुगम 602. से कि तं निज्जुत्तिअणुगमे ? निज्जुत्तिअणुगमे तिविहे पण्णत्ते / तं जहा-निक्खेवनिज्जुत्तिअणुगमे उबघातनिज्जुत्तिअणुगमे सुत्तप्फासियनिज्जुत्तिअणुगमे / [602 प्र.] भगवन् ! नियुक्त्यनुगम का क्या स्वरूप है ? [602 उ.] आयुष्मन् ! निर्यक्त्यनुगम के तीन प्रकार है। यथा-१. निक्षेपनियुक्त्यनुगम, 2. उपोद्घातनिर्युक्त्यनुगम और सूत्रस्पर्शिकनिर्युक्त्यनुगम / विवेचन-निर्युक्त्यनुगम के तीन भेदों का विस्तार से आगे वर्णन करते हैं / निक्षेपनियुक्त्यनुगम 603. से कि तं निक्खेवनिज्जुत्तिअणुगमे ? निक्खेवनिज्जुत्तिअणुगमे अणुगए। [603 प्र.] भगवन् ! निक्षेपनियुक्त्यनुगम का क्या स्वरूप है ? [603 उ.] अायुष्मन् ! (नाम स्थापना आदि रूप) निक्षेप की नियुक्ति का अनुगम पूर्ववत् जानना चाहिये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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