Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Author(s): Aryarakshit, Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 523
________________ प्रमाणाधिकार निरूपण] लिपिकार का वक्तव्य अनुयोगद्वार सूत्र की कुल मिलाकर सोलह सौ चार (1604) गाथाएं हैं तथा दो हजार (2000) अनुष्टुप छन्दों का परिमाण है / 142 जैसे महानगर के मुख्य-मुख्य चार द्वार होते हैं, उसी प्रकार इस श्रीमदनुयोगद्वार सूत्र के भी उपक्रम आदि चार द्वार हैं। इस सूत्र में अक्षर, बिन्दु और मात्रायें जो लिखी गई हैं, वे सब सर्व दुखों के क्षय करने के लिये ही हैं / 143 विवेचन--यद्यपि ये गाथायें मूल सूत्र में नहीं है वृत्तिकारों ने भी इनकी वृत्ति नहीं लिखी है। तथापि सारांश अच्छा होने से अनुयोगद्वारसूत्र की पूर्ति के पश्चात् इनको उद्धृत किया गया है / गाथार्थ सुगम और सुबोध है। / / श्रीमद्नुयोगद्वारसूत्र समाप्त // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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