________________ 332 // [अनुयोगद्वारसूत्र [407 उ. गौतम ! उनके तीन शरीर कहे हैं / यथा-वैक्रिय, तैजस और कार्मण। इसी प्रकार यही तीन-तीन शरीर स्तनितकुमार पर्यन्त सभी भवनपति देवों के जानना चाहिये। 408. [1] पुढवीकाइयाणं भंते ! कति सरोरा पण्णता ? गो० ! तयो सरीरा पणत्ता। तं जहा-ओरालिए तेयए कम्मए / [408-1 प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों के कितने शरीर होते हैं ? [408-1 उ.] गौतम ! उनके तीन शरीर कहे गये हैं---ौदारिक, तैजस और कार्मण / [2] एवं आउ-तेउ-यणस्सइकाइयाण वि एते चेव तिणि सरीरा भाणियम्वा / [408-2] इसी प्रकार अप्कायिक, तेजस्कायिक और वनस्पतिकायिक जीवों के भी यही तीन-तीन शरीर जानना चाहिए / [3] वाउकाइयाणं जाव गो० ! चत्तारि सरीरा पन्नत्ता। तं०-ओरालिए उम्बिए तेयए कम्मए। [408-3 प्र.] भगवन् ! वायुकायिक जीवों के कितने शरीर होते हैं ? 1408-3 उ. गौतम ! वायुकायिक जीवों के चार शरीर होते हैं प्रौदारिक, वैक्रिय, तंजस और कार्मण शरीर / 409. बंदिय-तेंदिय-चरिदियाणं जहा पुढवीकाइयाणं / [409] पृथ्वीकायिक जीवों के समान द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों के भी (औदारिक, तैजस, कार्मण यह तीन शरीर) जानना चाहिये। 410. पंचेंरियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जहा-बाउकाइया / [410 प्र. पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों के कितने शरीर होते हैं ? [410 उ.। गौतम ! पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों के शरीर वायुकायिक जीवों के समान जानना चाहिए। अर्थात् इनके भी प्रौदारिक, वैक्रिय, तैजस और कार्मण ये चार शरीर होते हैं। 411. मणसाणं जाव गो० ! पंच सरीरा पन्नत्ता। तं०---ओरालिए वेउम्विए आहारए तेयए कम्मए। [411 ] गौतम ! मनुष्यों के पांच शरीर कहे गये हैं / उनके नाम इस प्रकार हैं-प्रौदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण शरीर / 412. वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं, वेउब्विय-तेयग-कम्मगा तिति तिन्नि सरीरा भाणियन्वा / [412] काणध्यंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों के नारकों के समान वैक्रिय, तेजस और कार्मण ये तीन-तीन शरीर होते हैं। विवेचन-ऊपर चौबीस दंडकवर्ती जीवों में पाये जाने वाले शरीरों की प्ररूपणा की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org