________________ 206] [अनुयोगद्वारसूत्र अर्थात् दो पदार्थों का आपस में जुड़ना / संयोग की द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव यह चार अपेक्षाएं हो सकती हैं। इसलिये संयोगज नाम के चार भेद कहे गये हैं। इन चतुर्विध संयोगनिष्पन्ननामों की व्याख्या आगे की जा रही है / द्रव्यसंयोगजनाम 273. से कि तं दव्यसंजोगे ? दव्वसंजोगे तिविहे पण्णत्ते / तं जहा-सचित्ते 1 अचित्ते 2 मीसए 3 / [273 प्र.] भगवन् ! द्रव्यसंयोग से निष्पन्न नाम का क्या स्वरूप है ? [273 उ.] अायुष्मन् ! द्रव्यसंयोग तीन प्रकार का कहा गया है, यथा--१. सचित्तद्रव्यसंयोग, 2. अचित्तद्रव्यसंयोग, 3. मिश्रद्रव्यसंयोग / 274. से कि तं सचित्ते ? सचित्ते गोहि गोमिए, महिसीहिं माहिसिए, ऊरणीहिं ऊरणिए, उट्टीहि उट्टीवाले / से तं सचित्ते। / 274 प्र.] भगवन् ! सचित्तद्रव्यसंयोग से निष्पन्न नाम का क्या स्वरूप है ? [274 उ. आयुष्मन् ! सचित्तद्रव्य के संयोग से निष्पन्न नाम का स्वरूप इस प्रकार है गाय के संयोग से गोमान् (ग्वाला), महिषी (भैंस) के संयोग से महिषीमान्, मेषियों (भेड़ों) के संयोग से मेषीमान् और ऊंटनियों के संयोग से उष्ट्रीपाल नाम होना आदि सचित्तद्रव्यसंयोग से निष्पन्न नाम हैं। 275. से कि तं अचित्ते ? अचित्ते छत्तेण छत्ती, दंडेण दंडी, पडेण पडी, घडेण घडी, कडेण कडी / से तं अचित्ते / [275 प्र.] भगवन ! अचित्तद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम का क्या स्वरूप है ? [275 उ.] आयुष्मन् ! अचित्त द्रव्य के संयोग से निष्पन्न नाम का यह स्वरूप है-छत्र के संयोग से छवी, दंड के संयोग से दंडी, पट (कपड़ा) के संयोग से पटी, घट के संयोग से घटी, कट (चटाई) के संयोग से कटी आदि नाम अचित्तद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम हैं। 276. से कि तं मीसए ? मोसए हलेणं हालिए, सकडेणं साकडिए, रहेणं रहिए, नावाए नाविए। से तं मीसए। से तं दव्वसंजोगे। [276 प्र.] भगवन् / मिश्रद्रव्यसंयोगजनाम का क्या स्वरूप है ? [276 उ.] आयुष्मन् ! मिश्रद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम का स्वरूप इस प्रकार जानना चाहियेइल के संयोग से हालिक, शकट (गाडी) के संयोग से शाकटिक, रथ के संयोग से र संयोग से नाविक आदि नाम मिश्रद्रव्यसंयोगनिष्पन्ननाम हैं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org