________________ आनुपूर्वी निरूपण] अब भारतीय लौकिक दृष्टि की अपेक्षा यह उपक्रम का वर्णन जानना चाहिये। अब शास्त्रीय पद्धति से उपक्रम का निरूपण करते हैं। उपक्रम वर्णन की शास्त्रीय दृष्टि __ 92. अह्वा उवक्कमे छव्विहे पण्णत्ते / तं जहा आणुपुवी 1 नामं 2 पमाणं 3 वत्तम्वया 4 अत्याहिगारे 5 समोयारे 6 // [52] अथवा उपक्रम के छह प्रकार हैं। यथा--१. आनुपूर्वी, 2. नाम, 3. प्रमाण, 4. वक्तव्यता, 5. अधिकार पोर 6. समवतार / _ विवेचन--प्रकारान्तर से उपक्रम के इन भेदों का निर्देश करने का कारण यह है कि पूर्व में जिस प्रशस्त भावोपक्रम का वर्णन किया है, वह गुरुभावोपक्रप रूप है / पूर्व में आदि शब्द से ग्रहण किये गये शास्त्रीय भावोपक्रम का वर्णन यहाँ प्रस्तुत है। प्रानुपूर्वी प्रादि प्रकारों द्वारा किये जाने से उसके छह भेद हो जाते हैं। प्रानुपूर्वी निरूपण 93. से कि तं आणुपुवी ? आणुपुत्वी दसविहा पण्णता / तं जहा--नामाणुपुव्वी 1 ठवणाणुपुब्बो 2 दवाणुपुन्वी 3 खेत्ताणुयुवी 4 कालाणुपुची 5 उक्कित्तणाणुयुब्बी 6 गणणाणुपुब्बी 7 संठागाणुपुन्वी 8 सामायारियाणुपुत्वी 9 भावाणुपुन्वी 10 / 193 प्र.] भगवन् ! प्रानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ? [93 उ.] आयुष्मन् ! प्रानुपूर्वी दस प्रकार की है / वह इस प्रकार---१. नामानुपूर्वी, 2. स्थापनानुपूर्वी, 3. द्रव्यानुपूर्वी, 4. क्षेत्रानुपूर्वी, 5. कालानुपूर्वी, 6. उत्कीर्तनानुपूर्वी, 7. गणनानुपूर्वी, 8. संस्थानानुपूर्वी, 9. समाचार्यनुपूर्वी, 10. भावानुपूर्वी / विवेचन--सूत्र में शास्त्रोपक्रम के प्रथम भेद पानुपूर्वी के दस नामों को गिनाया है। जिनका यथाक्रम विवेचन आगे किया जाएगा। आनुपूर्वी ----प्रानुपूर्वी, अनुक्रम एवं परिपाटी, ये प्रानुपूर्वी के पर्यायवाची शब्द हैं / अत: अर्थ यह हुआ कि अनुक्रम-एक के पीछे दूसरा ऐसी परिपाटी को प्रानुपूर्वी कहते हैं--पूर्वस्य अनुपश्चादनुपूर्व तस्य भावः प्रानुपूर्वी / नाम-स्थापना पानुपूर्वी 94. से कि तं गामाणुपुवी? नाम-ठवणाओ तहेव / [94 प्र.] भगवन् ! नाम (स्थापना) प्रानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ? [94 उ.] प्रायुध्मन् ! नाम और स्थापना प्रानुपूर्वी का स्वरूप नाम और स्थापना अावश्यक जैसा जानना चाहिये / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org