Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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वाणी का अध्ययन करके अन्तकृत् हुए हैं। गजसुकुमाल अनगार किसी भी शास्त्र का अध्ययन किए बिना ही अंतकृत् हुए हैं। शेष सभी ग्यारह अंगों का अध्ययन करके अंतकृत् हुए।
दीक्षा
दीर्घकालिक दीक्षा पर्यायवाले एक अतिमुक्त कुमार हुए हैं, जो कि अन्य चरित्रनायकों की अपेक्षा अधिक काल तक संयम पाल कर अंतकृत् हुए हैं।
अतिमुक्त कुमार एक ऐसे चरित्रनायक हुए हैं, जिन्होंने यौवनकाल से पूर्व ही प्रव्रज्या ग्रहण कर ली।
गजसुकुमाल एक ऐसे चरित्रनायक हैं जो प्रव्रज्या - ग्रहण के अनन्तर कुछ घंटों में ही कर्म-क्षय कर अंतकृत् हुए हैं। अन्य कोई भी साधक इतनी स्वल्पायु में अंतकृत् नहीं हो पाया।
छह मास की दीक्षा पर्याय और पंद्रह दिनों का संथारा अर्जुन अनगार को प्राप्त हुआ, शेष सभी चरित्रनायक वर्षों की दीक्षा पर्याय और मासिक संधारा वाले हुए हैं।
जीवन
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दो चरित्रनायक आबाल ब्रह्मचारी हुए हैं, शेष सभी चरित्रनायक भोग से निवृत्ति पाकर योगवृत्ति ग्रहण करके अंतकृत् हुए हैं।
हैं।
स्थान
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दो नरेश अन्तकृत हुए हैं, शेष सभी राजकुमार युवराज तथा महारानियाँ अन्तकृत् हुए हैं। गजसुकुमाल और अर्जुन अनगार को परीषह सहने का काम पड़ा, अन्य अनगारों को नहीं।
एक अर्जुन अनगार के अतिरिक्त शेष सभी चरित्र नायक राजकुल और श्रेष्ठी कुल में उत्पन्न अन्तकृत् हुए
अनगारों में एक गजसुकुमाल का निर्वाण श्मशान भूमि में हुआ है, शेष सभी अनगार शत्रुंजय और विपुलगिरि पर संथारे के साथ निर्वाण प्राप्त करते हैं।
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सभी साध्वियां उपाश्रय में ही अन्तकृत् हुईं।
नर-नारी
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पांचवें, सातवें और आठवें अध्ययन में तेतीस राजरानियों के जीवन चरित्र हैं, जो कि अंतकृत् हुई हैं।
शासन
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अरिष्टनेमि भगवान्
भगवान् के शासन में तेतीस अनगार अन्तकृत् केवली हुए और महावीर भगवान् के शासन में सोलह अनगार अन्तकृत् केवली हुए।
भगवान् अरिष्टनेमि के शासन में दस महारानियाँ दीक्षित होकर अंतकृत् हुई और भगवान् महावीर के शासन में तेतीस महारानियाँ दीक्षित होकर अंतकृत् हुईं।
भगवान् अरिष्टनेमि के शासन में यक्षिणी नाम की साध्वी प्रवर्तिनी हुईं और भगवान् महावीर के शासन में आर्या चन्दनबाला प्रवर्तिनी साध्वी थीं।
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