________________ चतुर्थ अध्ययन : कूर्म सार-संक्षेप चतुर्थ अध्ययन का नाम कूर्म-अध्ययन है। इसमें प्रात्मसाधना के पथिकों को इन्द्रियगोपन की आवश्यकता दो कर्मों के उदाहरण के माध्यम से प्रतिपादित की गई है। वाराणसी नगरी में गंगा नदी से उत्तर-पूर्व में एक विशाल तालाब था-निर्मल शीतल जल से परिपूर्ण और विविध जाति के कमलों से व्याप्त / तालाब में अनेक प्रकार के मच्छ, कच्छप, मगर, ग्राह आदि जलचर प्राणी अभिरमण किया करते थे। तालाब को लोग 'मृतगंगातीरहद' कहते थे। ___ एक बार सन्ध्या-समय व्यतीत हो जाने पर, लोगों का आवागमन जब बंद-सा हो गया, तव उस तालाब में से दो कूर्म-कछुए आहार की खोज में निकले / तालाब के आस-पास घूमने लगे। उसी समय वहाँ दो सियार आ पहुँचे / वे भी आहार की खोज में भटक रहे थे / सियारों को देख कर कर्म भयभीत हो गए। आहार की खोज में निकले कूर्मों को स्वयं सियारों का आहार बन जाने का भय उत्पन्न हो गया। परन्तु कूर्मों में एक विशेषता होती है / वे अपने पैरों और गर्दन को अपने शरीर में जब गोपन कर लेते हैं-छिपा लेते हैं, तो सुरक्षित हो जाते हैं, कोई भी प्राघात उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता / कूमों ने यही किया / सियारों ने उन्हें देखा / वे उन पर झपटे / बहुत प्रयत्न किया उनका छेदन-भेदन करने का, किन्तु सफल नहीं हो सके। सियार बहुत चालाक जानवर होता है / उन्होंने देखा कि कर्म अपने अंगों का जब तक गोपन किये रहेंगे तब तक हमारा कोई प्रयत्न सफल नहीं होगा, अतएव चालाकी से काम लेना चाहिए / ऐसा सोच कर दोनों सियार कूर्मों के पास से हट गए, पर निकट ही एक झाड़ी में पूरी तरह शान्त होकर छिप गए। दोनों कूर्मों में से एक चंचल प्रकृति का था। वह अपने अंगों का देर तक गोपन नहीं कर सका। उसने एक पैर बाहर निकाला / उधर सियार इसी को ताक में थे। जैसे ही उन्होंने एक पैर बाहर निकला देखा कि शीघ्रता के साथ वे उस पर झपटे और उस पैर को खा गए / सियार फिर एकान्त में चले गए / थोड़ी देर बाद कूर्म ने अपना दूसरा पैर बाहर निकाला और सियारों ने झपट्टा मार कर उसका दूसरा पैर भी खा लिया। इसी प्रकार थोड़ी-थोड़ी देर में कर्म एक-एक पैर बाहर निकालता और सियार उसे खा जाते / अन्त में उस चंचल कर्म ने गर्दन बाहर निकाली और सियारों ने उसे भी खाकर उसे प्राणहीन कर दिया। इस प्रकार अपने अंगों का गोपन न कर सकने के कारण उस कर्म के जीवन का करुण अन्त हो गया / दूसरा कूर्म वैसा चंचल नहीं था। उसने अपने अंगों पर संयम-नियन्त्रण रक्खा / लम्बे समय तक उसने अंगों को गोपन करके रक्खा और जब सियार चले गए तब वह चारों पैरों को एक साथ बाहर निकाल कर शीघ्रतापूर्वक तालाब में सकुशल सुरक्षित पहुँच गया / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org