________________ दसमो वग्गो दसवाँ वर्ग 1-8 अध्ययन ७८-दसमस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! जाव अट्ठ अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा काण्हा य कण्हराई, रामा तह रामरक्खिया वसु या। वसुगुत्ता वसुमित्ता, वसुधरा चेव ईसाणे // 1 // दसवें वर्ग का उपोद्घात / सुधर्मास्वामी का उत्तर-जम्बू ! यावत् सिद्धिप्राप्त श्रमण भगवान् महावीर ने दसवें वर्ग के पाठ अध्ययन प्ररूपित किए हैं / वे इस प्रकार-(१) कृष्णा (2) कृष्णराजि (3) रामा (4) रामरक्षिता (5) वसु (6) वसुगुप्ता (7) वसुमित्रा और (8) वसुन्धरा / ये आठ ईशानेन्द्र की आठ अग्रमहिषियां हैं। ७९-पढमज्झयणस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं, जाव परिसा पज्जुवासइ / तेणं कालेणं तेणं समएणं कण्हा देवी ईसाणे कप्पे कण्हब.सए विमाणे, सभाए सुहम्माए, कण्हंसि सीहासणंसि, सेसं जहा कालीए / एवं अट्ट वि अज्झयणा कालीगमएणं णेयव्वा। गवरं-पुत्वभवे वाणारसोए णयरीए दो जणीओ, रायगिहे णयरे दो जणीओ, सावत्थीए णयरीए दो जणोओ, कोसंबीए नयरीए दो जणीओ। रामे पिया, धम्मा माया / सव्वाओ वि पासस्स अरहओ अंतिए पव्वइयाओ। पुप्फचलाए अज्जाए सिस्सिणीयत्ताए, ईसाणस्स अगमहिसीओ, ठिई णव पलिओवमाइं, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति, बुज्झिहिति, मुचिहिति, सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति / एवं खलु जंबू ! निक्खेवओ दसमवग्गस्स / दसमो वग्गो! समत्तो। प्रथम अध्ययन का उपोद्घात कहना चाहिए, अर्थात् जम्बूस्वामी ने प्रश्न किया कि-भगवन् यदि श्रमण भगवान् महावीर ने नौवें वर्ग का यह पूर्वोक्त अर्थ कहा है तो भगवान् ने दसवें वर्ग का क्या अर्थ कहा है ? इस प्रश्न के उत्तर में सुधर्मास्वामी ने कहा-जम्बू ! उस काल और उस समय में स्वामी राजगृह नगर में पधारे, यावत् परिषद् ने उपासना की। उस काल और उस समय कृष्णा देवी ईशान कल्प (देवलोक) में कृष्णावतंसक विमान में, सधर्मा सभा में, कृष्ण सिंहासन पर प्रासोन थी। शेष वृत्तान्त कालो पर ग्रासोन थी। शेष वत्तान्त काली देवी के समान है. अर्थात कृष्णा देवो भगवान् का राजगृह में पदार्पण जानकर सेवा में उपस्थित हुई। काली देवी के समान नाट्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org