Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 490] [ ज्ञाताधर्मकथा ३१-एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तरसमस्स णायज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते त्ति बेमि। सुधर्मास्वामी अध्ययन का उपसंहार करते हुए कहते हैं—'जम्बू ! निश्चय ही यावत् मुक्ति को प्राप्त श्रमण भगवान् महावीर ने सत्तरहवें ज्ञात अध्ययन का यह अर्थ कहा है / वही अर्थ मैं तुझसे कहता हूँ। / / सत्तरहवाँ अध्ययन समाप्त / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org