Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 619
________________ पंचमं अज्झयणं [पञ्चम अध्ययन मेहा-मेघा ४३-एवं मेहा वि। आमलकप्पाए नयरीए मेहे गाहावई, मेहसिरी भारिया, मेहा दारिया, सेसं तहेव / मेघा देवी का कथानक भी ऐसा ही जान लेना चाहिए / नामों की विशेषता यों है-- आमलकल्पा नगरी थी। उसमें मेघ नामक गाथापति निवास करता था। मेघश्री उसकी भार्या थी। पुत्री का नाम मेघा था। शेष कथन पूर्ववत्, अर्थात् उसने भी आकर नाट्यप्रदर्शन किया। उसके चले जाने के पश्चात् गौतमस्वामी ने उसके विषय में जिज्ञासा की / भगवान ने उसके पूर्वभव का वृत्तान्त बतलाया और अन्त में कहा कि वह भी सिद्धि प्राप्त करेगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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