Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ चौदहवाँ अध्ययन : तेतलिपुत्र / [ 359 ५-तए णं पोट्टिला दारिया अन्नया कयाइ व्हाया सव्वालंकारविभूसिया चेडिया-चक्कवालसंपरिवुडा उप्पि पासायवरगया आगासतलगंसि कणगमएणं तिदूसएणं कान्नमाणी कोलमाणी विहरइ / एक बार किसी समय पोट्टिला दारिका (लड़की) स्नान की और सब अलंकारों से विभूषित होकर, दासियों के समूह से परिवृत होकर, प्रासाद के ऊपर हुई अगासी की भूमि में सोने की गेंद से क्रीडा कर रही थी। ६-इमं च णं तेयलिपुत्ते अमच्चे हाए आसखंधवरगए महयः भडचडगरआसवाहणियाए णिज्जायमाणे कलायस्स मूसियारदारगस्स गिहस्स अदूरसामंतेणं वीईवयः / इधर तेतलिपुत्र अमात्य स्नान करके, उत्तम अश्व के स्क. र आरूढ होकर, बहुत-से सुभटों के समूह के साथ घुड़सवारी के लिए निकला / वह कलाद मूषिका कारक के घर के कुछ समीप होकर जा रहा था। ७-तए णं से तेयलिपुत्ते मूसियारदारगगिहस्स अदूरसामंतेणं वीवयमाणे वीईवयमाणे पोटिलं दारियं उप्पि पासायवरगयं आगासतलगंसि कणतिदूसएणं कीलमाणि पासइ, पासित्ता पोट्टिलाए दारियाए रूवे य जोवणे य लावणे य अज्झोववन्ने कोडुबियपुरिसे सदा सद्दावित्ता एवं वयासी'एस णं देवाणुप्पिया ! कस्स दारिया किनामधेज्जा वा ? तए णं कोडुबियपुरिसे तेयलिपुत्तं एवं वयासी-एस णं सामी : कलायस्स भूसियारदारयस्स धूआ, भद्दाए अत्तया पोटिला नाम दारिया हवेण य जोवणेण य लागेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा।' उस समय तेतलिपुत्र ने मूषिकारदारक के घर के कुछ पास से हुए प्रासाद की ऊपर की भूमि पर अगासी में सोने की गेंद से क्रीडा करती पोटिला दारिका देखा / देखकर पोटिला दारिका के रूप, यौवन और लावण्य में यावत् अतीव मोहित होकर कोतबक पुरुषों (सेवकों) को बुलाया और उनसे पूछा-देवानुप्रियो ! यह किसकी लड़की है ? इसरू नाम क्या है ? तब कौटुम्बिक पुरुषों ने तेतलिपुत्र से कहा-'स्वामिन् ! 8 कलाद मूषिकारदारक की पुत्री, भद्रा की पात्मजा पोट्टिला नामक लड़की है / रूप, लावण्य र यौवन से उत्तम है और उत्कृष्ट शरीर वाली है।' ८तए णं से तेयलिपुते आसवाहणियाओ पडिनियत्ते समा अभितरट्ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-'गच्छह णं तुम्भे देवाणुपिया! कन्नास्स मूसियारदारगस्स धूयं भद्दाए अत्तयं पोट्टिलं दारियं मम भारियत्ताए वरेह।' तए णं ते अभितरदाणिज्जा पुरिसा तेयलिणा एवं वुत्ता समाणा तुट्ठा जाव करयलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं सामी !' तह त्ति आणा विणएणं वयणं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तेलियस्स अंतियाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणे कलायस्स मूसियारदारयस्स गिहे तेणेव उवागया। तए णं कलाए मूसियारदारए ते पुरिसे एज्जमा पासइ, पासित्ता हतुठे आसणाओ अब्भुट्टेइ, अन्भुट्टित्ता सत्तटुपयाइं अणुगच्छइ, अणुगच्छिन्ना आसणेणं उवनिमंतेइ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org