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पारिवारिक स्थिति एक ऐसा जीव पैदा होगा, जिसकी पुन्याईसे सब चमक उठगे।
मानाजी वदनाजी प्रारम्भसेही बड़े शुद्धहृदय और सहज सरल स्वभाववाली थीं। वे दादाजी, दादीजी और मेरे पिताजी की बडी भक्तिसे सेवा करती रहीं। समूचे परिवारका पोपण, बुजुर्गोकी सेवा, घरका संरक्षण आदि काम करनेमे उन्होंने अच्छा यश प्राप्त किया।
हमारे छः भाइयोमे बड़े भाई मोहनलालजी थे। पिताजीके गुजर जानेके वाद समूचे घरका भार उनपर आया। उस समय हमारा घर कजदार था । परन्तु मोहनलालजी बड़े साहसी और अच्छे विचारक रहे है। उन्होंने अपनो कमाईसे समूचा कर्ज चुका कर घरको स्वतन्त्र बनाया। हम सब भाई मोहनलालजी को पिताके तुल्य समझते थे। मैं तो उनसे इतना डरता था कि उनके सामने बोलना तो दूर रहा, इधरसे उधर देखनेमे भी सकुचाता था।"
मिन्दरतानमे चिरकालसे संयुक्त पारिवारिक प्रथा चली आ गी। एक मुखियाके संरक्षणमे रहना, अनुशासन और विनयका पालन करना, नम्र-भाव रचना. बडोके सामने अनावश्यक न बोलना सी-मजाक, न करना आदि आदि एसरी विपना है। अमरमजीवी अपने परिवार के लिए चिन्ता परना, अन्य भारयो द्वारा मोहनलाल्जीयो पिनानुल्य समाना. उस सचाना आदि आदि हम मंयुक्त पारिवारिद प्रभाये ही भावना परिणाम है। परिवारका 'ल्न