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कविकी तूलिकाके कुछ चित्र
भ्रष्टाचार घुस घर - घर में, चोर - बजारी चले सदर मे । पाप - भीति नही नर के उर में, कलियुग के उजियाले तुच्च स्वार्थ तजो॥"
"हल है हलकापन जीवन का, है एकमात्र अनुभव मनका । माडम्बर और दिखाव तजो, अब तो कुछ सादापन लामो ॥ ए दुनियावालो सुनो जरा, दिल की दुविधा को दफनाओ। जीवन में सत्य अहिंसा को, ज्यादा से ज्यादा अपनाओ ।। यह सत्य - अहिंसा से सम्भव, है सत्य अहिंसा भी तद्भव | सम्बन्ध परस्पर है इनका, अनुरूप पात्र तुम बन जाओ ।। ए दुनिया वालो.. ........
धार्मिक जगत्मे आपने अपनी ओजस्वी वाणी द्वारा जो क्रान्ति-घोष किया है, वह धमकी रीढको स्वस्थ बनानेके साथ उसके नाम पर आडम्बर रचनेवाले रूढिवादी धार्मिकको चुनौती