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दैनिक कार्यक्रम
जीवनका कार्यक्रम निश्चित होना चाहिए, यह एक संगत बात है । किन्तु इसके मूलमे यान्त्रिकता या जडता नहीं होनी चाहिए। मेरे नम्र मतानुसार कार्यक्रमकी निश्चितताका अर्थ यही होना चाहिए कि समय अफल न जाए, मनमे अस्तव्यस्तता न रहे, उसमे चैतन्य बना रहे । शत-प्रतिशत महत्त्ववाले कार्य के लिए अगर गौण कार्यकी समय-तालिका कुछ इधर-उधर हो जाय, तो उसमे अनिश्चितता जैसी क्या त्रुटि है । समयमे से सफलता निकले, यही आचार्यश्री की दिनचर्याका प्रमुख सूत्र है 1 उसकी साधारण रूपरेखा मैं पाठकोंके सामने रख दूं ।
साधारणतया आप करीबन चार बजे उठते है । सबसे पहला कार्य होता है स्वाध्याय और आत्मचिन्तन । एक मुहूर्त्त