Book Title: Acharya Shree Tulsi
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 186
________________ १६२ प्राचार्य श्री तुलसी लगता है। कारण स्पष्ट है। आपका संघ 'तेरापन्थ' मूलतः आत्मानुशासनकी भित्ति पर रहा हुआ है। इसलिए उसे अपेक्षा आपके नेतृत्वकी ही है। आप स्वयं कई वार कहा करते है___ "हमारे पूर्वाचार्योने बडी सुन्दर नियमावली बनाई है, इसलिए मुझे संघकी देख-रेख तथा विकासके अतिरिक्त व्यवस्था सम्बन्धी बहुत कुछ नहीं करना पडता।" आप दैनिक कृत्योंको विकास और सफलताकी दृष्टि से बहुत महत्त्व देते है।

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