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सत्य-निष्ठा
आप प्रत्येक व्यक्तिको, चाहे वह कैसा ही हो, अपने मन्तव्य बडी निर्भीकतासे बताते हैं। लोग दया-दानकी प्रवृत्तिको लेकर आपकी परम्पराप्राप्त विचार-पद्धतिपर आक्षेप करते है, उसे आप आगन्तुकके सामने सहज भावसे रखते हैं। सर पेट्रिक स्पेशको आपने दया-दान सम्बन्धी विचार वताये, तव कई कट्टरपन्थी लोगोंको भी यह कहते सुना कि आचार्यश्री अपने विचार रखनेमे नहीं चूकते, चाहे कोई भी आये। ___ अभी थोडे समयकी बात है, कलकत्ता विश्वविद्यालयके प्रोफेसर डा० नवलक्षनाथ दत्त एम० ए०, वी० एल० पी० आरएस०, पी० एच० डी०, डी०लिट् आचायश्रीके दर्शन करने आये।