Book Title: Acharya Shree Tulsi
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 174
________________ १५० श्राचार्य श्री तुलमी शालामे अनगिनत किशोर मानवताके चरम तक पहुंच पाये है। आसपासमे रहनेवालोको लगा कि यह बहुत वडा काम हो रहा है, भौतिकता के विरुद्ध आध्यात्मिक सेनाका निर्माण हो रहा है । दूर खड़े लोगोंने मन ही मन सोचा - यह क्या हो रहा है ? छोटे-छोटे बालक मुनि - जीवनकी ओर खिंच जा रहे है ? उन्हे बहकाया जा रहा है, फुसलाया जा रहा है, ललचाया जा रहा है आदि आदि । यह सन्देह था और है, पर दूर रहने का अर्थ सन्देहके सिवाय और हो ही क्या सकता है। आचार्यश्रीकी मूक साधनाने ऐसे व्यक्तियोका निर्माण किया है, जो उनकी प्रतिभाके स्वयं प्रमाण है | चारित्र और विद्याके सुन्दर समन्वय से जीवनका प्रासाद खडा करना, मजबूती के साथ उसे आगे बढाना आचार्यश्री के स्वयम्भू व्यक्तित्वका सहज परिणाम है । आपके शिष्योकी मूक कृतियो का उल्लेख कर मैं उन्हें सीमामे बाधनेकी प्रागल्भता कर सकता हूं, किन्तु फिर भी मैं एक पुस्तक के बीच मे दूसरी पुस्तक लिखने को तैयार नहीं हूं। इसलिए मैं एक दिवंगत वालमुनि कनककी, जो कसौटी पर कनक ही रहा, चर्चा कर इस प्रसंगसे मुक्ति पा ऐसी मेरी इच्छा है। मुनि कनककी जीवन-गाथा आचार्यश्री के जीवन से इस प्रकार जुडी हुई है कि उसका उल्लेख किसी अंशमे भी अप्रासांगिक नहीं लगेगा । इसमे आचार्यश्रीकी निर्माणकारी प्रवृत्तियो और बालककी विवेकपूर्ण मनोवृत्तिके अध्ययनकी सामग्री मिलेगी ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215