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प्रश्नोत्तर
तत्त्व-चर्चा आपकी सार्वजनिक चर्याका एक प्रमुख अन है । व्याख्यान, साधारण बातचीत और प्रश्नोत्तर के रूपमे वह चलती रहती है । प्रश्न करनेवालोंका ताता सा जुडा रहता है । 'विश्व - शान्ति - सन्देश' के बाहर आते ही वह प्रश्नोंकी भूमि बन गया । भारत और योरोप के विचारकों द्वारा इसके बारेमे बहुत कुछ पूछा गया। आपने उन सबका समाधान किया ।
लन्दन से जैन - विद्वान् हर्बर्ट बैटेनके प्रश्न आये । आपने उनको बडे मार्मिक ढंगसे समझाया। आपके प्रश्नोत्तरोंकी संकलना की जाये तो एक वृहत्तर पुस्तक वन सकती है । इसलिए मैं इस विषयको अधिक लम्बा नहीं खींच्गा । सिर्फ आपके उत्तर देने की शैली और दो चार प्रसंगोंको वतावर इससे क्षमा चाहना ।