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सव-शक्ति
तेरापंथ संघ एकतन्त्रीय शासनका वेजोड उदाहरण है । उसमे एक आचार्य के नेतृत्वका सफल अनुशीलन होता है । नेतामे वात्सल्य और अनुयायीमे श्रद्धा हो, तब अनुशासनमे जान आती है। वहा अनुशासन ऊपर से न आकर अन्दरसे निकलता हे । इसे शास्त्रो आत्मानुशासन या हृदयकी मर्यादा कहा गया है । आपके अनुशासनका मूल आधार यही है । आपके नेतृत्व ६४० साधु साध्विया और लाखो श्रावक-श्राविकाएँ है । सघ - शक्तिका उपयोग केवल लक्ष्य की ओर अग्रसर होनेमे होता है । खण्डनात्मक नीतिमे न विश्वास है और न उसका प्रयोग भी होता है । आजके इस जनतन्त्रीय युगमे एक तन्त्रीय धमशासन सुननेमे स्यात् कुछ अटपटा ना लगे, किन्तु उसके कर्तृत्व